प्राचार्य व सहायक प्राध्यापक शामिल थे 63 लाख के छात्रवृत्ति घोटाले में
शासकीय कला व वाणिज्यिय महाविद्यालय का मामला, 11 साल बाद मिली चालान की अनुमति

इंदौर. शासकीय कला एवं वाणिज्यि महाविद्यालय में हुए छात्रवृत्ति घोटाले के पांच आरोपियों के खिलाफ आर्थिक अपराध प्रकोष्ठ (इओडब्ल्यू) ने सोमवार को चालान पेश किया। करीब 63 लाख के घोटाले में पांच आरोपियों के खिलाफ 11 साल बाद चालान की अनुमति मिलने पर चालान पेश हो सका।
इओडब्ल्यू ने वर्ष 2009 में गबन, भ्रष्टाचार व धोखाधड़ी के मामले में 10 आरोपियों पर केस दर्ज किया था। एसपी धनंजय शाह के मुताबिक, आरोप था कि आरक्षित वर्ग के विद्यार्थियों को वर्ष 2004-05 में बंटने के लिए आई करीब 1 करोड़ 28 लाख 32 हजार की राशि में से 63 लाख 34 हजार की राशि का गबन किया गया। इओडब्ल्यू ने जांच के बाद कॉलेज के तत्कालीन प्राचार्य डॉ. आरके खरे, सहायक प्राध्यापक डॉ. कुसुमलता श्रीवास्तव, प्रयोगशाला तकनीशियन नरेंद्र श्रीवास, सहायक ग्रेड 3 लोकेंद्रसिंह राठौर, सहायक ग्रेड 2 अनिल लाड़, सहायक ग्रेड 3 सुरेंद्र गोयल, योगेंद्रसिंह चौहान, प्रयोगशाला तकनीशियन कामिनी शिवहरे, आदिम जाति कल्याण विभाग के तत्कालीन संयोजक एसके शर्मा, लेखापाल उदय पंवार के खिलाफ केस दर्ज किया था। जांच के बाद डॉ. खरे, डॉ. कुसुमलता, नरेंद्र श्रीवास, लोकेंद्रसिंह व उदय पंवार के खिलाफ चालान पेश कर दिया था लेकिन शेष के खिलाफ अनुमति नहीं मिलने से मामला अटक गया था।
इओडब्ल्यू एसपी धनंजय शाह के मुताबिक, अब शेष को लेकर चालान की अनुमति मिली जिसके बाद जीजाबाई कन्या महाविद्यालय में पदस्थ अनिल लाड, निर्भयसिंह पटेल विज्ञान कॉलेज में पदस्थ सुरेंद्र गोयल व श्रीमती कामिनी, संस्कृत महाविद्यालय में कार्यरत योगेंद्रसिंह व एसके शर्मा के खिलाफ आज निरीक्षक शैलेंद्रसिंह जादौन, नितिन जावरिथा व प्रदीप मिश्रा की टीम ने चालान पेश कर दिया।
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