मामला मधुबन कॉलोनी में रहने वाले समाधिया परिवार से जुड़ा है। 56 वर्षीय धीरेंद्र की दस दिन पहले तबीयत खराब हुई थी, तब एक डॉक्टर को दिखाया गया। जांच कर उन्हें टाइफाइड बताया। इलाज चल रहा था। बुधवार रात अचानक सांस लेने में दि.कत होने लगी। इस पर परिजन ने 108 को फोन लगाया। जैसे ही उन्होंने पूछा कि क्या-क्या दिक्कत हो रही है। सर्दी, खांसी और सांस की दिक्कत बताने पर आने से इनकार कर दिया। कहना था कि हमारे पास साधन नहीं हैं।
जैसे-तैसे परिजन मरीज को लेकर भंवरकुआं स्थित निजी अस्पताल पहुंचे। वहां फाइल देखकर कहना था कि यहां सिर्फ कोरोना मरीजों का इलाज हो रहा है। बाद में साउथ तुकोगंज के एक अस्पताल लेकर गए, वहां भी लेने से इनकार कर दिया। साफ कर दिया कि आप इन्हें एमवाय अस्पताल ले जाएं। अस्पतालों के चक्कर लगाते समय मरीज को ठंडा पसीना आया और मौत हो गई। परिजन चाहकर भी इलाज नहीं करवा पाए।
रखी सावधानी निधन की खबर लगने के बाद पड़ोसी व रिश्तेदार आने लग गए लेकिन परिजन ने साफ कर दिया कि सांस लेने में दि.कत आ रही थी। डॉक्टर ने टाइफाइड बताया था, जिसका इलाज चल रहा था। सर्दी-खांसी और संकेतों के आधार पर कुछ कहा नहीं जा सकता है। ऐसे में सरकार के निर्देशों का पालन जरूरी है। सके चलते गिनती के लोग दाह संस्कार में शामिल हुए। सभी मास्क लगाए थे ताकि संक्रमण न फैले।
परिवार को क्वारेंटाइन होने की दी सलाह अंतिम समय में धीरेंद्र को सर्दी, खांसी और सांस लेने में दि?कत होने लगी। इसके चलते रिश्तेदारों ने अन्नपूर्णा थाने पर सूचना दे दी थी। परिजन ने कांग्रेस नेता हरिओम ठाकुर को मामले की जानकारी दी। ठाकुर ने तहसीलदार सिराज मोह्मद खान व पटवारी सचिन मीणा को वाकया बताकर घर को क्वेनेटाइजेशन करने का आग्रह किया।