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२२ अभ्यार्थियों के जाति प्रमाण-पत्र जांचने पटवारी जाएंगे घर-घर

locationइंदौरPublished: Jun 27, 2018 02:00:22 am

Submitted by:

amit mandloi

तहसील कार्यालय में दस्तावेजों में नहीं मिल रहा रिकॉर्ड

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– तहसील कार्यालय में दस्तावेजों में नहीं मिल रहा रिकॉर्ड

इंदौर. व्यापमं द्वारा ९ हजार पदों के लिए ऑनलाइन पटवारी परीक्षा आयोजित की गई थी। प्रदेशभर में चयनित उम्मीदवारों को ऑनलाइन दस्तावेज के बाद २५ जून को ऑफलाइन वेरिफिकेशन और काउंसलिंग हुई। प्रशासन २२ पटवारियों के जाति प्रमाण-पत्र तहसील कार्यालय के रिकॉर्ड में नहीं मिल पा रहा है। एेसे में अब पटवारियों के इनके पतों पर पहुंचाकर जांच कराई जा रही है, ताकि इन अभ्यार्थियों का भविष्य खराब न हो। हालांकि ये वे पटवारी हैं, जिनके प्रमाण पत्र इंदौर जिले में बने हैं और इनका चयन प्रदेश के विभिन्न जिलों में हुआ है।
दरअसल, पटवारियों की काउंसलिंग के बाद जिनके दस्तावेज परीक्षण हो गए, उन्हें अफसरों ने ट्रेनिंग के लिए लेटर जारी कर दिए हैं। ६ से ८ महीने की टे्रनिंग के बाद ये पटवारी फिल्ड में नजर आएंगे। इन चयनित अभ्यार्थियों के दस्तावेज की जांच पड़ताल के दौरान इंदौर प्रशासन के पास आए २२ अभ्यार्थियों के जाति प्रमाण-पत्रों का मामला उलझता दिखाई दे रहा है। तहसील कार्यालय के दस्तावेजों को खंगालने के बाद भी इनका रिकॉर्ड नहीं मिल पा रहा है। एेसे में अब प्रशासन ने एक नया रास्ता निकाला है, ताकि इन अभ्यार्थियों के भविष्य पर संकट न आए। पटवारियों को फिल्ड में भेजकर प्रमाण पत्र की सत्यता की जांच कराई जाएगी।
अफसरों की साइन और सील सहीं, लेकिन रिकॉर्ड नहीं-
जांच के दौरान तहसील कार्यालय के दायरा पंजी में इन २२ प्रमाण-पत्रों को जारी किए जाने के संबंध में कोई रिकॉर्ड नहीं है। हालांकि, अधिकारियों को इन्हें जारी किए जाने वाले एसडीएम की साइन और सील ओरिजनल लग रही है। इसलिए इनकी वैधता की जांच किए जाने के लिए पटवारी को पते पर पहुंचकर पंचनाम तैयार करवाया जा रहा है।
एक तहसील के आठ टुकड़ों ने भी बढ़ाई परेशानी-
इंदौर शहर की एक ही तहसील हुआ करती थी, लेकिन तत्कालीन कलेक्टर आकाश त्रिपाठी ने इसे पांच भागों में बांटा। इसके बाद तत्कालीन कलेक्टर पी.नरहरि ने इसे पांच के बजाए आठ भागों में बांट दिया। आठ तहसील होने से दस्तावेज भी तहसील बार बंट गए। अलग-अलग भागों में तहसीलों का विभाजन होने से भी रिकॉर्ड इधर-उधर होने की वजह से भी इन प्रमाण-पत्र का रिकॉर्ड न मिलना एक वजह है।
१६७ पटवारियों को दिए लेटर –
इंदौर में १९० पटवारियों को काउंसलिंग के लिए बुलाया था, जिनमें से १६७ आए, वहीं १० अभ्यार्थियों को होल्ड किया है, १९ अनुपस्थित रहे हैं। १६७ पटवारियों को काउंसलिंग के बाद ट्रेनिंग लिए जाने के लिए लेटर भी जारी कर दिए।
वर्जन

२२ प्रमाण-पत्र एेसे सामने आएं हैं, जिनका रिकॉर्ड तहसील कार्यालय में नहीं मिल रहा है। पटवारियों के माध्यम से जांच कराई जा रही है।
– निधि निवेदिता, अपर कलेक्टर

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