पिछले दिनों भी छात्र-छात्राओं ने यूनिवर्सिटी में भी प्रदर्शन किया था। विद्यार्थियों ने कहा था कि हमें टैगोर कॉलेज की नहीं बल्कि डीएवीवी की अंकसूची चाहिए। शुक्रवार को वे अतिरिक्त संचालक व कलेक्टर से मिले थे और इसी मांग को लेकर दिए ज्ञापन सौंपा था। इसमें उन्होंने कहा था कि अगर 2 दिनों में कार्यवाही नहीं हुई तो अनिश्चितकालीन धरने पर बैठेंगे।
यह है मामला देवी अहिल्या यूनिवर्सिटी को लंबे समय से टैगोर कॉलेज में गड़बड़ी की शिकायतें मिल रही थीं। शासन की उच्च स्तरीय जांच में इन शिकायतों को भी आधार बनाया गया है। छात्र अजय मिश्रा ने कॉलेज प्रबंधन के रवैये से परेशान होकर जहर खाकर आत्महत्या की कोशिश की थी। इसके बाद बाकी छात्र भी कॉलेज प्रबंधन की मनमानी पर मुखर हुए। विद्यार्थियों ने बताया कि कॉलेज में डायरेक्टर संजय पारीख सहित सिर्फ चार लोगों का स्टाफ है। बगैर पूर्व सूचना के परीक्षा रख ली जाती है। परीक्षा करवाने डायरेक्टर के ही रिश्तेदार कॉलेज आते हैं। दीपा जैन को प्राचार्य बताया जाता है, लेकिन वे भी इस पद के लिए निर्धारित पात्रता पूरी नहीं करती। जांच समिति को कॉलेज ने एक दर्जन से ज्यादा फैकल्टी की लिस्ट सौंपी। समिति जब कॉलेज दौरे पर गई थी तब ये फैकल्टी वहां मौजूद नहीं थीं। एनसीटीई भी अगले सत्र के लिए कॉलेज की मान्यता निरस्त कर चुका है।
इस साल की सूची में कॉलेज का नाम नहीं नैक से 2.61 सीजीपीए के साथ कॉलेज को बी ग्रेड मिली है। यूजीसी ने ऑटोनॉमस कॉलेज की सूची वेबसाइट पर अपलोड की है। इस साल की सूची में टैगोर कॉलेज का नाम नहीं है। जांच समिति को हासिल दस्तावेज के अनुसार कॉलेज की ऑटोनॉमी जुलाई में खत्म हो चुकी है। इसके बाद सभी छात्र-छात्राओं के नामांकन यूनिवर्सिटी में कराए जाना थे। नियमानुसार ऑटोनॉमस कॉलेज भी एडमिशन लेने वालों के नामांकन यूनिवर्सिटी में कराते हैं। इन कॉलेज को अपनी परीक्षा कराने और रिजल्ट जारी करने का अधिकार है लेकिन परीक्षा का रिजल्ट भी यूनिवर्सिटी मंजूर करती है। टैगोर कॉलेज ने पिछले सत्र का ही रिजल्ट मंजूर नहीं कराया है।
कॉलेज की साफ-सफाई करवाते हैं विद्यार्थियों ने आरोप लगाया है कि जीरो अटैंडेंस के नाम पर भी प्रति छात्र 15 से 30 हजार रुपए अतिरिक्त वसूले जाते हैं। जो छात्र नियमित कॉलेज आने की बात कहते उन्हें कक्षा में कम से कम 50 फीसदी उपस्थिति होने पर ही क्लास लगने की बात की जाती। इस पर नहीं मानने पर कॉलेज की साफ-सफाई और गार्डनिंग जैसा काम करने को कहा जाता। कॉलेज में विद्यार्थियों से बदसलूकी की जाती। मोबाइल इस्तेमाल करते पाए जाने पर मोबाइल छीन लिए जाते।