चिडिय़ाघर प्रभारी डॉ. उत्तम यादव ने बताया, तीन दिन में छह भेडि़यों की मौत के बाद हमने पशु चिकित्सा महाविद्यालय से विशेषज्ञों की टीम बुलाकर पोस्टमॉर्टम करवाया। डॉक्टर्स ने दोनों भेडियों के खून और लार की जांच के साथ रैबीज टेेस्ट किया था, जिसकी रिपोर्ट पॉजिटिव आई। इससे चिडिय़ाघर में अन्य जानवरों को लेकर भी खतरा बढ़ गया है।बचे हुए दो भेडियों में चार साल का नर और ढाई साल की मादा है, जिनकी जांच की जा रही है। चूंकि रैबीज लाइलाज है, इसलिए उन्हें ऑब्जर्वेशन में रखते हुए दवाओं के जरिए जिंदा रखने की कोशिश की जा रही है। वहीं चिडियाघर प्रबंधन ने अन्य जानवरों के पिंजरों में भी दवाओं का छीड़काव करना शुरू कर दिया है।
लार या खून से होता है रेबीज
रैबीज के कीटाणु इससे ग्रस्त जानवरों की लार में होते हैं। काटने से यह बीमारी अन्य जानवरों में फैलती है। रैबीज ग्रस्त जानवर के खून में भी इसके कीटाणु होते हैं। रेबीज मुख्यत: खून पीने वाले चमगादड़ों के काटने से फैलता है। डॉक्टर्स जांच कर रहे हैं कि किसी रैबीज ग्रस्त जानवर का मांस तो इन्हें नहीं दिया गया। या फिर इनके पिंजड़े में कोई बाहरी जीव जैसे कुत्ता तो नहीं घुसा।
रैबीज के कीटाणु इससे ग्रस्त जानवरों की लार में होते हैं। काटने से यह बीमारी अन्य जानवरों में फैलती है। रैबीज ग्रस्त जानवर के खून में भी इसके कीटाणु होते हैं। रेबीज मुख्यत: खून पीने वाले चमगादड़ों के काटने से फैलता है। डॉक्टर्स जांच कर रहे हैं कि किसी रैबीज ग्रस्त जानवर का मांस तो इन्हें नहीं दिया गया। या फिर इनके पिंजड़े में कोई बाहरी जीव जैसे कुत्ता तो नहीं घुसा।