दरअसल, वर्ष 2016-17 के वार्षिक बजट में रेल मंत्रालय ने इंदौर-उज्जैन मार्ग के दोहरीकरण की घोषणा की थी। इंदौर- देवास – उज्जैन दोहरीकरण करीब 79.4 किलोमीटर का काम 650 करोड़ रुपए की लागत से किया जाना है। इसमें सिविल वर्क के अलावा सिग्नलिंग, टीआरडी, इलेक्ट्रिक पावर विभाग व अन्य विभागों के खर्च को भी शामिल किया गया है। दिसंबर 2020 में उज्जैन से कड़छा के बीच 15 किलोमीटर का काम पूरा हो गया था। रूट पर कमिश्नर रेलवे सेफ्टी (सीआरएस) ने निरीक्षण कर ट्रेनों के संचालन की अनुमति दे दी थी। बाद में बजट की कमी के कारण कड़छा से देवास के बीच चल रहे काम को ठेकेदार ने रोक दिया था। इसके बाद रेलवे ने 178 करोड़ रुपए जारी किए थे। वर्तमान में देवास से नारांजपुरी के बीच काम चल रहा है। वहीं बरलई ब्रिज का काम भी चल रहा है।
२0२३ की समयसीमा
इस प्रोजेक्ट की टाइम लिमिट साल २०२३ है, लेकिन काम की गति को देखते हुए नहीं लगता कि यह समय सीमा में पूरा हो पाएगा। जिस गति से काम चल रहा है, उसमें अभी दो साल और लगेंगे। रेलवे फिलहाल उज्जैन-देवास के बीच ही काम कर रहा है। हालांकि अभी भी देवास से उज्जैन की ओर नारंजीपुर में काम चल रहा है।
ब्रिज में लगेगा समय
इस प्रोजेक्ट में मांगलिया, बरलई, लक्ष्मीबाई नगर में तीन ब्रिज बनना हैं। इसमें अभी बरलई पर ब्रिज बनाए जाने का काम चल रहा है। वहीं दो नालों पर भी काम जारी है। ब्रिज बनाए जाने में एक साल से अधिक समय लग जाएगा। हालांकि रेलवे के इलेक्ट्रानिक सेक्शन द्वारा देवास से इंदौर के बीच इलेक्ट्रिक वर्क, छोटे-छोटे चेक पोस्ट आदि को लेकर सर्वे किया जा रहा है और दोहरीकरण के बीच में आने वाले बाधक स्थलों को परीक्षण किया जा कर हटाए जाने का काम हो रहा है।