सुरक्षा से जुड़े विशेष प्रोजेक्ट को सरकार के उपक्रम रेलटेल को क्रियान्वयन का जिम्मा सौंपा गया है। रेलवे स्टेशनों पर वीएसएस के पहले चरण में ए1, बी एवं सी श्रेणी के 756 प्रमुख रेलवे स्टेशनों को शामिल किया गया है। जनवरी 2023 तक काम पूरा करने का लक्ष्य रखा गया है। शेष स्टेशनों का काम फेज-2 में होगा। इंटरनेट प्रोटोकॉल (आइपी) आधारित वीएसएस सिस्टम की जद में प्रतीक्षालय, आरक्षण काउंटर, पार्किंग क्षेत्र, मुख्य प्रवेश/निकास, प्लेटफार्म, फुटओवर ब्रिज, बुकिंग कार्यालय आदि को शामिल किया है। रेल मंत्रालय ने निर्भया फंड के तहत प्रमुख स्टेशनों पर वीडियो निगरानी प्रणाली के कार्यों को मंजूरी दी है।
एआइ से होगी बदमाशों की निगरानी
सिस्टम में आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (एआइ) काम करेगा। इनेबल वीडियो एनालिटिक्स व फेस रिकॉगनिशन सॉफ्टवेयर लगेगा। इससे अपराधियों का स्टेशन परिसरों में एंट्री पर, उनका पता लगाने तथा उसका अलर्ट जारी करने में मदद मिलेगी यानी व्यक्ति, वाहन का रंग, छवि के आधार पर कैमरा पहचान सकेगा, फिर सिस्टम में अपलोड होगा। इसके बाद चिन्हित चित्र सामने आते ही अलॉर्म बजेगा और पुलिस अलर्ट हो जाएगी।
30 दिन की रिकॉर्डिंग हो सकेगी स्टोर
4 प्रकार के आइपी कैमरे (डॉम टाइप, बुलेट टाइप, पैन टिल्ट ज़ूम टाइप और अल्ट्रा एचडी-4के) लगाए जाएंगे, ताकि रेलवे परिसर के भीतर अधिकतम कवरेज सुनिश्चित हो सके। इससे रेल सुरक्षा बल अधिकारियों को बेहतर सुरक्षा सुनिश्चित करने में अतिरिक्त सहायता मिल सकेगी। कैमरों से मिलने वाली वीडियो फीड की रिकॉर्डिंग 30 दिनों के लिए स्टोर की जा सकेगी।
ये हैं कैमरे की सुरक्षा के प्रमुख बिंदु
घुसपैठ का पता लगाना।
कैमरे से छेड़छाड।
संदिग्ध चहलकदमी पकड़ना।
मानव-वाहन का पता लगाना।
विशेषता के आधार पर व्यक्ति की खोज।
रंग खोज।
सबसे आधुनिक तकनीक का इस्तेमाल
प्रोजेक्ट में आधुनिक सॉफ्टवेयर-हार्डवेयर का इस्तेमाल होगा। यह सिस्टम आइपी बेस्ड कैमरों का नेटवर्क होगा। कैमरों की वीडियो फीडिंग न केवल स्थानीय आरपीएफ पोस्टों, बल्कि मंडल, जोनल स्तर पर सेंट्रलाइज सीसीटीवी कंट्रोल रूम में भी प्रदर्शित की जाएंगी। स्टेशनों पर लगे कैमरे और वीडियो फीड को इन 3 स्तरों पर मॉनिटर किया जाएगा, ताकि स्टेशनों की सुरक्षा पुख्ता रह सके।