scriptएक साफ्टवेयर से लगा दी रेलवे को करोड़ो रूपए की चपत | Railways get crore rupees from a software | Patrika News

एक साफ्टवेयर से लगा दी रेलवे को करोड़ो रूपए की चपत

locationइंदौरPublished: May 05, 2018 11:39:00 am

Submitted by:

Sanjay Rajak

सॉफ्टवेयर बनाकर धड़ल्ले से बेच रहे थे फर्जी टिकट, बड़ा गिरोह पकड़ाया, सेंट्रल रेलवे ने डेढ़ करोड़ के टिकट सीज किए, इंदौर से भी जुड़े हैं तार

संजय रजक.इंदौर.
फर्जी सॉफ्टवेयर से इ-टिकट की दलाली करने वाले गिरोह से पूछताछ जारी है। दूसरी ओर रेलवे को चूना लगाने वाले सॉफ्टवेयर फिर तैयार हैंं। सॉफ्टवेयर मुहैया कराने वाली वेबसाइट इसका प्रचार कर रही है और एजेंटों को नहीं डरने की बात कह रही है।
उल्लेखनीय है कि सेंट्रल रेलवे विजिलेंस, कमर्शियल, आइआरसी टीसी और आरपीएफ ने मिलकर १ करोड़ ६ लाख के रेल इ-टिकट सीज किए हैं और गिरोह के सरगना को पकड़कर रिमांड पर लिया है। इंटरनेट पर तत्काल सॉफ्टवेयर एशिया और फ्री तत्काल सॉफ्टवेयर नाम से दो वेबसाइट काम कर रही है। दोनों की वेबसाइट ने उस काउंटर सॉफ्टवेयर को बंद कर दिया है। हालांकि दोनों की वेबसाइट पर आधा दर्जन दूसरे सॉफ्टवेयर बिकने को तैयार हैं। फ्री तत्काल सॉफ्टवेयर वेबसाइट पर कहा जा रहा है आइ स्मार्ट, स्टार आदि ले सकते हैं। कोई नुकसान नहीं होगा। इसी तरह तत्काल सॉफ्टवेयर एशिया वेबसाइट पर भी आधा दर्जन नए सॉफ्टवेयर की जानकारी दी जा रही है।
सेंट्रल रेलवे ने ई-टिकट गिरोह का भंडाफोड़ किया है। गिरोह का मुखिया मुंबई से ई-टिकट का अवैध कारोबार चला रहा था। इस गिरोह के तार रतलाम और इंदौर से जुड़े हैं, क्योंकि जिन ६,६०० ई-टिकट को होल्ड किया गया है, उसमें रतलाम मंडल के ४७० टिकट भी शामिल हैं। गिरोह के सरगना से मुंबई में पूछताछ की जा रही है। रेल अफसरों के अनुसार सीज की गई टिकटों की मूल्य १ करोड़ ६० लाख रुपए है।
सेंट्रल रेलवे विजिलेंस, आरपीएफ, आईआरसीटीसी और कमर्शियल विभाग ने संयुक्त कार्रवाई कर इस गिरोह को पकड़ा है। जानकारी के अनुसार यह गिरोह एक सॉफ्टवेयर के माध्यम से रेलवे को चूना लगा रहा था। इस सॉफ्टवेयर की मदद से वेटिंग के बावजूद कंफर्म टिकट जारी हो जाते थे। यह गिरोह पिछले कुछ महीनों से सेंट्रल रेलवे के निशाने पर था। पिछले एक माह से गिरोह के खिलाफ कार्रवाई की तैयारी चल रही थी।
काउंटर सॉफ्टवेयर से चल रहा था खेल

जानकारी के अनुसार कार्रवाई में जो खुलासा हुआ है, उसमें यह पता चला है कि आईआरसीटीसी के सॉफ्टवेयर के समानांतर एक सॉफ्टवेयर बना लिया गया था। इसकी लिंक देशभर में बांटी गई थी। टिकट बुक होने पर अपना कमिशन काट कर एजेंट पैसा मुबंई भेजते थे। इस सॉफ्टवेयर को काउंटर नाम दिया गया था।
जल्द होगी धरपकड़

फिलहाल मुंबई में गिरोह के सरगना को रिमांड पर लेकर पूछताछ की जा रही है, जिसमें कई शहरों के एजेंटों के नाम सामने आए हैं। इंदौर में भी कई एजेंट अब रतलाम विजिलेंस और आरपीएफ के निशाने पर आ गए हैं। पूछताछ पूरी होते ही इनकी धरपकड़ की जाएगी।
पहले भी हो चुकी धरपकड़

आरपीएफ और विजिलेंस द्वारा समय-समय पर इंदौर में भी टिकटों की कालाबाजारी के मामले में कार्रवाई की गई है, लेकिन जिस तरह से इस गिरोह को पकड़ा है, ऐसी कार्रवाई पहली बार हुई है।
खुद के आईडी का करें उपयोग

इस गिरोह के खुलासे के बाद रेलवे ने यात्रियों को आगाह किया है कि आरक्षण काउंटर से ही टिकट बनवाएं। यदि इ-टिकट बना रहे हैं तो अपनी आईडी से बनाएं ताकि असुविधा का सामना ना करना पड़े।
नहीं कर पाएंगे यात्रा

रतलाम मंडल के पीआरओ जितेंद्र कुमार जयंत ने बताया कि जिन यात्रियों ने दलालों के माध्यम से इ-टिकट बुक कराया है, ट्रेन में चढऩे से पहले वे पीएनआर नंबर की जांच कर लें, क्योंकि दलाल द्वारा बुक किए इ-टिकटों को रेलवे ने सीज कर दिया है। इन टिकटों के माध्यम से सफर करने वाले यात्रियों के टिकट वैध नहीं माने जाएंगे।
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