यह भी पढ़ेंः सज्जन ने दिया करारा जवाब, बोले- सबसे पहले विजयवर्गीय की संपत्ति की जांच हो
कांग्रेस के बड़े नेताओं में शामिल जितिन प्रसाद के भाजपा में शामिल होने के साथ ही कांग्रेस में बगावती सुर और तेज हो गए हैं। अब कांग्रेस के राष्ट्रीय सचिव और प्रदेश के पूर्व मंत्री सज्जन सिंह वर्मा ने भी पार्टी के कामकाज को लेकर सवाल खड़े कर दिए हैं। दरअसल, राजस्थान में मुख्यमंत्री अशोक गेहलोत और पूर्व उपमुख्यमंत्री सचिन पायलट को लेकर चल रही खींचतान पर उन्होंने पार्टी की कार्यशैली पर सवाल खड़े किए हैं।
कांग्रेस के राष्ट्रीय सचिव सज्जन सिंह वर्मा का कहना है कि सचिन पायलट ने धैर्य रखा है। वे कांग्रेस में अस्तित्व की लड़ाई लड़ रहे हैं। इसका दोष उस कमेटी को है, जो पिछले आठ माह में कोई फैसला नहीं ले पाई। राजस्थान में सचिन पायलट और मुख्यमंत्री अशोक गेहलोत के बीच समन्वय बनाने के लिए जो कमेटी बनाई गई थी, आठ माह बाद भी उसने अभी तक रिपोर्ट नहीं दी है। उन्होंने कमेटी के अध्यक्ष अजय माकन को लेकर भी नाराजगी जताते हुए कहा कि ज्यादा से ज्यादा एक से डेढ़ माह में रिपोर्ट बनाकर आलाकमान को सौंप देना चाहिए। लेकिन, कमेटी ने ऐसा नहीं किया है। उन्होंने कांग्रेस अध्यक्षा सोनिया गांधी से मांग की है कि इस तरह से काम को लेट करने वालों को कोई काम ही नहीं सौंपना चाहिए। इससे पार्टी पीछे होती है।
यह भी पढ़ेंः कांग्रेस नेता के बेतुके बोल- ’15 साल में प्रजनन के लायक हो जाती हैं लड़कियां, शादी की उम्र 21 साल करने की क्या जरुरत’
खाली डिब्बा भेजा है
जितिन प्रसाद के भाजपा में शामिल होने के लेकर कहा कि जितिन प्रसाद लगातार चुनाव हार रहे थे। हमने तो खाली डिब्बा भेजा है। लेकिन वे भूल गए हैं कि उप्र में भाजपा खत्म हो चुकी है। उन्हें जाना ही था तो समाजवादी पार्टी में चले जाते शायद उनके भविष्य के लिए कुछ उम्मीद तो रहती।
यह भी पढ़ेंः मंत्री ने कहा- हेमा मालिनी के अलावा भाजपा के पास कोई चॉकलेटी चेहरा नहीं, इसलिए उन्हें नचवाते रहते हैं
मोदी जनता को कर रहे भ्रमित
वहीं पेट्रोल-डीजल की मूल्यवृद्धि पर भी वर्मा ने केंद्र सरकार पर कटाक्ष किया। उनका कहना था कि मोदी देश की जीडीपी बढ़ाने की बात करते हैं, लेकिन दरअसल वे जी मतलब गैस, डी मतलब डीजल और पी मतलब पेट्रोल के दाम बढ़ाने को जीडीपी मानते हैं। कोरोना की आड में 18 बार एक माह में इनके भाव बढ़ाए, जबकि ढ़ाई माह में जब चुनाव थे तब एक बार भी भाव नहीं बढ़ाए, उल्टा दो बार भाव कम जरूर किए।