राजकुमार सब्जी मंडी व्यापारी सडक़ पर, कार्रवाई का विरोध
इंदौरPublished: Apr 29, 2018 11:04:08 am
आज नहीं लगाई दुकान, हाथ में काले झंडे लेकर किया प्रदर्शन, धरना देकर निगम, आईडीए के खिलाफ लगाए नारे
इंदौर. राजकुमार सब्जी मंडी में अतिक्रमण मुहिम चलाकर नगर निगम ने 150 से ज्यादा कब्जे हटाए। फुटपाथ पर बने टीन शेड और अन्य दुकानें हटाई गईं। 20 दुकानें भी सील की गईं। इन दुकानों पर निगम का किराया वर्षों से बकाया था। इसलिए इन्हें सील कर दिया। कल हुई इस कार्रवाई के विरोध में आज व्यापारी सडक़ पर उतर आए।
निगम और इंदौर विकास प्राधिकरण (आईडीए) के खिलाफ प्रदर्शन करने सुबह 6.30 बजे से रोड पर उतरे व्यापारियों ने दुकानें नहीं लगाईं। काले झंडे लेकर कार्रवाई का विरोध किया। निगम और आईडीए के खिलाफ जमकर नारे लगाए और मंडी में ही धरना देने बैठ गए। व्यापारियों की मांग है कि आईडीए ने स्कीम 78 में मंडी के लिए जो जमीन आवंटित की है, वहां शिफ्टिंग की जाए। जब तक शिफ्टिंग नहीं होगी, राजकुमार मंडी में ही दुकानें लगेंगी।
नोटिस देकर की कार्रवाई
विरोध-प्रदर्शन के लिए पूर्व पार्षद रमेश घाटे, मंडी के व्यापारी किशोर मरमट, राजेश चौकसे, किशोर पंवार, राजेश भांजा सहित कई महिलाएं भी मैदान में उतरीं। निगम अफसरों का कहना है कि मंडी में कार्रवाई के लिए एक महीने पहले ही नोटिस दे दिया था। शनिवार को कार्रवाई से पहले शुक्रवार को भी नोटिस दिया गया। रोड पर मंडी लगने से गदंगी हो रही थी, अवैध कब्जे बढ़ते जा रहे थे, इसलिए कार्रवाई की गई।
मेन रोड पर लगी दुकानें
राजकुमार सब्जी मंडी में विरोध के चलते जहां दुकानें नहीं लगीं, वहीं मालवा मिल चौराहा से परदेशीपुरा पुलिस थाने जाने वाली रोड पर लगने वाली सब्जी की दुकानें लगीं। सुबह-सुबह 10 से 15 दुकानें लग गई थीं। मालूम हो कि इस रोड पर सब्जी-फल की दुकानें लगने से ट्रैफिक व्यवस्था बिगड़ जाती है, क्योंकि दुकान लगने से सडक़ संकरी हो जाती है। डिवाइडर पर भी दुकानें लग जाती हैं। इन्हें हटाने को लेकर भी मुनादी हुई, लेकिन कार्रवाई नहीं हुई।
टालते रहे मामला
व्यापारियों का कहना है कि 15 साल पहले स्कीम-78 में आईडीए ने मंडी बनाई और व्यापारियों को शिफ्ट करने को कहा। जिस समय जमीन अलॉट हुई थी, तब कीमत 37 करोड़ रुपए थी, अब 150 करोड़ रुपए हो गई है। आईडीए की नीयत खराब हो गई और मंडी के लिए अलॉट जमीन पर हमें शिफ्ट करने के बजाय टालते रहे। शिफ्टिंग को लेकर मुख्यमंत्री से लेकर क्षेत्रीय भाजपा नेता कैलाश विजयवर्गीय को भी पत्र लिखे, लेकिन कुछ नहीं हुआ। नतीजा ये हुआ कि निगम ने कार्रवाई कर दुकानों को हटा दिया और व्यापारियों को बेरोजगार कर दिया। एक तरफ जहां निगम 150 दुकानें हटाना बता रहा है, वहीं व्यापारी बिना नोटिस दिए 300 दुकानें हटाने की बात कह रहे हैं। उनका कहना है कि मंडी में 25 साल पहले निगम ने 20 दुकानें बनाकर व्यापारियों को दी थीं। कार्रवाई के चलते बिना नोटिस दिए इन्हें खाली करवाकर सील कर दिया गया। निगम द्वारा व्यापारियों से बात किए बिना कार्रवाई करने के विरोध में व्यापारी उतरे। वे आगे की लड़ाई लडऩे की रणनीति बना रहे हैं। आज मंडी पूर्ण रूप से बंद रखी गई।