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इस बार रंगपंचमी पर निकलेगी गेर, 15 ड्रोन कैमरों से आप पर रखी जाएगी नजर

locationइंदौरPublished: Mar 11, 2022 03:04:59 pm

Submitted by:

Ashtha Awasthi

पुलिस की तैयारी तेज, मुख्यालय से मांगा गया एक हजार अतिरिक्त बल

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Rangpanchami

इंदौर। दो साल के अंतराल के बाद इस बार रंगपंचमी पर राजबाड़ा इलाके से गेर निकलेगी। उम्मीद है, इस बार बड़ी संख्या में लोग गेर में पहुंचेंगे। गेर के दौरान व्यवस्थाएं बनी रहें, इसलिए पुलिस ने तैयारी तेज कर दी है। करीब एक हजार अतिरिक्त पुलिसकर्मियों की मांग की। गई है। गेर पर करीब 15 ड्रोन, 150 सीसीटीवी व करीब 30 वीडियो कैमरों से रिकॉडिंग कर नजर रखी जाएगी। गेर मार्ग में जितने थाने पड़ते हैं, उन सभी से तैयारियों को लेकर कमिश्नर हरिनारायणाचारी मिश्र ने रिपोर्ट मांगी है। मार्ग की स्थिति की समीक्षा के साथ ही रास्ते में पड़ने वाले जर्जर मकानों की भी पुलिस सूची तैयार कर रही है, ताकि वहां भीड़ न जमा होने दी जाए।

पुलिस अधिकारियों को ड्रोन से गैर मार्ग के सभी भवनों की छतों की जांच करने के लिए कहा गया है। किसी मकान की छत पर पत्थर आदि कुछ आपत्तिजनक दिखा तो उसे हटवाया जाएगा। कमिश्नर मिश्र के मुताबिक स्थानीय बल के साथ ही मुख्यालय से व्यवस्था के लिए एक हजार अतिरिक्त बल मांगा गया है। गेर मार्ग में 15 ड्रोन कैमरे, 150 सीसीटीवी कैमरे, 30 वीडियो कैमरे लगेंगे। अस्थायी कंट्रोल रूम भी बनाया जाएगा, ताकि शांति बनी रहे।

बता दें कि कोरोना के कारण इंदौर में दो साल से होली के बाद आने वाली रंगपंचमी पर गेर नहीं निकल रही है। इस बार कोरोना संक्रमण का असर न होने से मुख्यमंत्री शिवराजसिंह चौहान ने स्वयं होली, रंगपंचमी मनाने के साथ गेर निकालने की सार्वजनिक घोषणा कर दी। इस कारण गेर आयोजक भी उत्साहित हो गए हैं। गेर आयोजकों ने अपनी तैयारी शुरू कर दी है। इंदौर के लोग रंगों के त्योहार होली की तुलना में रंग पंचमी को अधिक उत्साह के साथ मनाते हैं. गेर को फाग जुलूस के नाम से भी जाना जाता है. इसके दौरान विभिन्न संगठनों द्वारा शहर के कई हिस्सों से निकाला जाता है और रंग-बिरंगे छींटे डाले जाते हैं, साथ ही तोपों के माध्यम से पानी और गुलाल की बौछार की जाती है।

इंदौर की गेर का इतिहास काफी पुराना बताया जाता है। इसके लिए मान्यता है कि परंपरा की शुरूआत उस समय हुई, जब होलकर वंश के लोग होली खेलने के लिए रंगपंचमी के मौके पर सड़कों पर निकलते थे। कहा जाता है कि उस समय लोग बैलगाड़ियों में फूलों और प्राकृतिक चाजों से तैयार किए गए रंग और अबीर को लेकर सड़कों पर निकलते थे, जिसे सभी मिलकर एक-दूसरे के साथ मनाते थे।

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