होलकर स्टेडियम में पहली बार खिताबी जंग, वर्ष 1946, 1948 और 1955 में खेले गए हैं मुकाबले।
इंदौर। शहर को रणजी ट्रॉफी फाइनल मुकाबले की मेजबानी करने का अवसर पहले भी तीन मर्तबा मिल चुका है। यह सिलसिला आजादी के पहले से शुरू हो चुका था, जब राजाओं की टीम के बीच प्रतिस्पर्धा होती थी। सबसे पहला फाइनल मैच आजादी मिलने के ठीक एक साल पहले मार्च-1946 में होलकर राज्य व बड़ौदा के बीच यशवंत क्लब ग्राउंड पर हुआ था।
इसमें होलकर की टीम 56 रनों से जीती थी। मैच की खासियत यह रही थी, कर्नल सीके नायडू ने दोहरा शतक बनाया था।इसके बाद अलग- अलग सालों में शहर को क्रिकेट की मेहमान नवाजी का मौका मिलता गया। इंदौर में चौथी दफा होने वाले रणजी के फाइनल मैच के लिए दर्शकों को किसी तरह का शुल्क नहीं देना पड़ेगा।
> हमारी तैयारी पूरी
इंदौर में रणजी मैच के फाइनल मुकाबले के लिए हम पूरी तरह से तैयार है। हालांकि बीसीसीआई की ओर से हमें ऑफिशियल लेटर प्राप्त नहीं हुआ है।
मिलिंद कनमड़ीकर, सचिव एमपीसीए
> पहले मिल चुके थे संकेत
होलकर स्टेडियम में रणजी मैच के बड़े मुकाबले के पहले ही संकेत मिल चुके थे। दर्शकों को शानदार मैच की दावत देखने को मिलेगी। पिच और मैदानी टीम इस महामुकाबले के लिए तैयार है।
-समंदर सिंह, पिच क्यूरेटर एमपीसीए
> खिलाडि़यों के विचार फाइनल देखने मौजूद रहूंगा
रणजी फाइनल मैच की मेजबानी इंदौर को मिलना बहुत बड़ी बात है। हालांकि हमारी टीम दौड़ से बाहर हो चुकी है, लेकिन नए खिलाडि़यों को फाइनल मैच देखकर सीखने का अनुभव मिलेगा। फाइनल मैच के दौरान इंदौर में रहा, तो होलकर स्टेडियम जरूर मैच देखने पहुंचुंगा।
– नमन ओझा, मप्र रणजी क्रिकेटर
> फाइनल होगा रोमांचक
हम सौभाग्यशाली है कि हमें फाइनल की मेजबानी मिली है। फाइनल में दोनों दिग्गज टीमें पहुंचेंगी। जो भी इस मुकाबले में श्रेष्ठ प्रदर्शन करेगा, वहीं जीत का हकदार होगा।
– देवेंद्र बुंदेला, मप्र रणजी कप्तान
पहला मैच-
22-27 मार्च 1946, होलकर विरुद्ध बड़ौदा, होलकर की टीम 56 रन से विजेता रही थी
दूसरा मैच-
20 से 13 मार्च 1948, बॉम्बे विरुद्ध होलकर, होलकर टीम 9 विकेट से विजेता रही
तीसरा मैच-
2 से 6 अप्रैल 1955, मद्रास विरुद्ध होलकर, मद्रास की टीम 46 रन से विजेता रही थी