दो को मिल चुकी है ज़मानत तीसरे की खारिज
दरअसल, हाईकोर्ट की इंदौर खंडपीठ में बुधवार को रतलाम में हुए गैंगरेप मामले में आरोपी की तरफ से ज़मानत याचिका लगाई गई। बता दें, कि यह घटना दिसंबर 2017 में हुई थी, जहां तीन आरोपियों द्वारा युवती से सामुहिक दुष्कर्म का मामला सामने आया था। घटना के बाद पुलिस ने तीनो आरोपियों को गिरफ्तार कर कोर्ट में पेश किया गया था। इनमें से दो आरोपियों ने पहले ही याचिका लगाकर ज़मानत ले ली थी, वहीं, तीसरा आरोपी रूपचंद भी जमानत का प्रयास कर रहा था। जिसकी याचिका खारिज करते हुए जस्टिस आर्य ने कहा कि, अगर इस तरह आरोपियों को इस संवेदनशील मामले में ज़मानत पर रिहा कर दिया गया, तो इसका समाज में ग़लत संदेश जाएगा।
इस आधार पर मांगी गई थी ज़मानत
दो आरोपियों को आधार बनाकर तीसरे आरोपी की तरफ से ज़मानत मांगी गई थी, जिसमें कहा गया था कि, मामले को लेकर पुलिस चालान पेश कर चुकी है। लगातार बयान भी हो रहे हैं। इसी आधार पर बाकि, दो आरोपियों को भी ज़मानत दी जा चुकी है। आरोपी द्वारा याचिका में कहा गया कि, मुझे भी इसका लाभ मिलना चाहिए। याचिका के खिलाफ शासन के वकील ने इसपर आपत्ति दर्ज कराते हुए, कहा कि आरोपी बाहर निकलकर साक्ष्य प्रभावित कर सकता है, इसलिए कोर्ट उसे किसी तरह की ढील ना दे। दोनो पक्षों की दलील सुनने के बाद कोर्ट ने आरोपी की जमानत खारिज कर दी।
क़ानून व्यवस्था पर सवाल
उन्होंने बिगड़ी क़ानून व्यवस्था का हवाला देते हुए कहा कि, आज हालात यह हो गए हैं, कि अपराधियों में पुलिस का डर जैसी कोई चीज़ ही नहीं बची है। इसकी गवाही हमें आए दिन होने वाली दुष्कर्म की घटनाओं से ही मिल जाती है। उन्होंने कहा कि, यह पुलिस कार्यप्रणाली और कानून व्यवस्था के लिए बड़ा सवाल है कि, अपराधियों को अब कानून का कोई डर ही नहीं है। ऐसे में अगर न्यायपालिका भी नर्म रवय्या अपनाएगी, तो इससे सभी अपराधियों को ढील मिलेगी।
लोगों की सुरक्षा बनी पुलिस की चुनौती
उन्होंने चिंता जताते हुए यह भी कहा कि, प्रदेश में दुष्कर्म की वारदातें इतनी आम हो चुकी हैं, कि महिलाएं तो छोड़िए स्कूल जाने वाली बच्चियां भयभीत हैं। जहां महिलाएं खुद के लिए डरी हुई हैं वहीं, अपनी छोटी छोटी बच्चियों का डर भी उन्हें सता रहा है। यह बेहद गंभीर बात है और प्रदेश में लोगों को सुरक्षा प्रदान करना पुलिस के लिए गंभीर चुनौती है।