Rape news: रेप के झूठे जुर्म में सात साल जेल में रहा…हकीकत कुछ और थी
इंदौरPublished: Mar 06, 2022 12:53:39 am
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Rape news: रेप के झूठे जुर्म में सात साल जेल में रहा…हकीकत कुछ और थी
हाई कोर्ट (High court) की महत्वपूर्ण टिप्पणी
‘सुप्रीम कोर्ट (Supreme court) के पूर्व आदेश के अनुसार जहां पीडि़ता की आयु में संदेह है, वहां अभियोजन की जिम्मेदारी होती है कि वह उसे साबित करे। इस केस में तथ्यों के बावजूद निचली अदालत ने सजा देने में गंभीर त्रुटि की है। तथ्यों के अध्ययन में गलती की वजह से निर्दोष युवक को जीवन के 7 वर्ष जेल में बिताने पड़े।Ó
इंदौर. नाबालिग से रेप के आरोप में सात साल जेल में रहे युवक को अब न्याय मिला है। निचली अदालत द्वारा रेप और अपहरण की धाराओं में दी गई १० साल की सजा के आदेश को हाई कोर्ट ने गलत पाया है। युवक पर लगे सभी आरोप झूठे साबित हुए हैं। घटना के वक्त पीडि़ता के नाबालिग होने का बिंदु ही कोर्ट में साबित नहीं हो सका। मजिस्ट्रेट के समक्ष धारा १६४ के बयानों में भी पीडि़ता ने रेप या अपहरण होने की बात नहीं की थी। अक्टूबर २०१७ में देवास की जिला कोर्ट द्वारा दिए गए फैसले को इंदौर हाई कोर्ट में जस्टिस सत्येंद्र कुमार सिंह की एकल पीठ ने खारिज कर दिया है। कोर्ट ने जेल में बंद समीर उर्फ चिंटू को बा-इज्जत बरी करने के आदेश दिए हैं। शनिवार को समीर जेल से बाहर आया। हाई कोर्ट ने निचली अदालत द्वारा लगाए गए ३२ हजार रुपए का अर्थदंड भी लौटाने का आदेश दिया।
एडवोकेट मनीष यादव के मुताबिक, २५ दिसंबर २०१४ को देवास पुलिस थाने में पीडि़ता के पिता ने एफआइआर दर्ज करवाई थी कि समीर ने बेटी का अपहरण कर रेप किया था। समीर को उसी दिन गिरफ्तार कर कोर्ट में पेश किया। अगले दिन जेल भेज दिया गया। तब समीर की उम्र २२ साल थी। उसी दिन समीर जेल में बंद था। करीब तीन साल ट्रायल चलने के बाद देवास की जिला कोर्ट ने अपहरण और रेप सहित अन्य धाराओं में समीर को १० साल की कैद और ३२ हजार के अर्थदंड की सजा सुनाई थी। २०१८ में हाई कोर्ट में अपील की गई, जिस पर अब फैसला आया है।
इस तरह झूठे साबित हुए आरोप
१. पीडि़ता ने धारा १६४ के तहत मजिस्ट्रेट के समक्ष दिए बयान में नहीं कहा कि उसका अपहरण और रेप किया गया।
२. घटना के वक्त पीडि़ता के नाबालिग (१५ वर्ष) होने की बात भी कोर्ट में साबित नहीं हो सकी। उम्र संबंधी प्रमाण का कोई दस्तावेज पेश नहीं किया गया।
३. कोर्ट में पीडि़ता की मां ने बयान दिया था कि उनकी ३० साल पहले शादी और उसके दो साल बाद बेटी हुई थी। इस आधार पर पीडि़ता के नाबालिग होने पर संशय रहा।
४. बचाव पक्ष के तर्क थे कि समीर और पीडि़ता के बीच प्रेम संबंध थे और इसी वजह से दोनों चले गए थे। दोनों १० दिन साथ रहे।
५. मेडिकल जांच में रेप की पुष्टि नहीं हुई।
६. उम्र की पुष्टि के लिए पीडि़ता की स्कूल के प्राध्यापक को भी बुलाया गया, लेकिन उन्होंने जानकारी नहीं होने की बात कही।