ज्योतिषाचार्य मितेश मालवीय ने बताया, 13 अप्रैल रात्रि को सूर्य मीन राशि को छोड़ कर मेष राशि में प्रवेश करेंगे। मेष राशि सूर्य भगवान की उच्च राशि है, जहां इनका तेज और कार्यशीलता सर्वोच्चता पर रहती है। इसलिए 15 अप्रैल से 15 मई तक भारत में भीषण गर्मी के कारण कई विषाणु और जीवाणु ही नहीं, जीव-जंतु एवं पक्षी आकाल मौत के मुंह में चले जाते हैं। भारत की कुंडली में कर्क राशि है। यहां सूर्य का परिवर्तन भारत की चंद्र कुंडली से उच्चगत होकर दसवां रहेगा। गोचरगत शनि ने 23 जनवरी को मकर राशि में प्रवेश किया था और भारत के सप्तम भाव में आकर देशवासियों की आंतरिक स्थिति को बिगड़ा दिया। इसी दौरान भारत में पहला कोरोना मरीज मिला। 13 अप्रैल के बाद सूर्य की दसवी दृष्टि सप्तम भाव में बैठे शनि पर पड़ती है, जो कोरोनारूपी महामारी से निजात दिलाना शुरू करेगी। सूर्य भगवान पितृकारक सिर से मुंह तक के अंगों को बलशाली बनाते हैं और कोरोना श्वास नली, फेफ ड़ों से संबंधित बीमारी है। 14 अप्रैल से भारत में कोरोना से निजाच पाने वाली औषधि की खोज और महामारी का कमजोर होना दिखता है।
25 सितंबर तक खत्म होगा कोरोना इन दिनों भारत की चंद्र कुंडली में 12वें राहू गोचर में हैं, जो विकास की स्थिति रोकने और कार्यों की गतिशीलता बंद करने में माहिर है। 25 सितंबर को राहू वृषभ राशि में अपनी वक्री चाल के साथ प्रवेश करेंगे, अर्थात भारत की चंद्र कुंडली से 12वें राहू हट जाएंगे, जो कोरोना के कहर और जहर दोनों का अंत दर्शाता है।