फलों में पहली पसंद की बात की जाए तो आम का नाम ही आता है। इस साल आम ने निराश कर दिया। शुरुआती दौर में शहर में साउथ का बादाम आता है, जो बिक रहा है। ये दिखने में गहरा पीला है, लेकिन स्वाद में बहुत कमजोर है। एक तरह से कहा जा सकता है कि बेस्वाद है। बताया जा रहा है कि साउथ में आंधी-तूफान के साथ बरसात भी आ रही है, जिसकी वजह से इसकी फसल खराब हो गई। कच्चा माल आ रहा है। यहां पकाने पर भी उसमें स्वाद नहीं है। वहीं, कीमतें भी आसमान छू रही हैं। 100 रुपए का सवा किलो बिक रहा है। ठेले वाले उससे कम करने के लिए तैयार नहीं हैं, क्योंकि उन्हें ही पांच से दस रुपए प्रति किलो की बचत हो रही है।
आज से गुजरात के केसर आम आने थे, जिससे आम प्रेमियों को खासी उ्मीद थी, लेकिन वह भी कमजोर हो गई। फसल दस दिन लेट चल रही है। इक्का-दुक्का गाडिय़ां वहां से आ रही हैं। आम का स्वाद भी जैसा होना चाहिए, नहीं है। मंडी के थोक व्यापारी व शौकीनों को अब यूपी के लंगड़ा व दशहरी से उ्मीद है। वहां की फसल अच्छी बताई जा रही है। इंदौरियों की सारी उम्मीद इन दोनों ही आमों पर टिकी हुई है। दाम भी पकड़ में रहेंगे।
कोरोना में भी था सस्ता
आम की कीमत इन साल आसमान पर है, जबकि दो साल कोरोना काल रहा और लॉकडाउन लगा हुआ था। इसके बावजूद आम की कीमत 40 से 50 रुपए किलो थी, लेकिन इस बार 80 रुपए से कम दाम नहीं है। उसमें भी मजा नहीं है।
आम की कीमत इन साल आसमान पर है, जबकि दो साल कोरोना काल रहा और लॉकडाउन लगा हुआ था। इसके बावजूद आम की कीमत 40 से 50 रुपए किलो थी, लेकिन इस बार 80 रुपए से कम दाम नहीं है। उसमें भी मजा नहीं है।