
गांव में मेट नहीं होने के कारण ट्रेनिंग में परेशानी आ रही थी। इसके चलते भूसे पर चादर डाल कर मेट तैयार किए। अपने बच्चों के साथ ही दूसरे बच्चों को भी ट्रेनिंग देना शुरू कर दिया। आज गांव के कई बच्चे कुश्ती में महारत हासिल कर चुके हैं।
घर में ही होने लगा विरोध
बच्चों के साथ में शुरुआत में सख्ती करना पड़ी। वे दूध नहीं पीते थे। जोर देने पर उल्टी कर देते। इस पर वे उन्हें उठाते और अपने सामने दूध पीने को कहते। अनिल बताते हैं कि बच्चों से सख्ती का उनके पिता ने विरोध किया। वे इतनी सख्ती नहीं करना चाहते थे। बेटी को सिखाया तो यह कहा गया कि लड़की है, इसको कुश्ती क्यों सिखा रहे हो। इसके बाद भी वे दोनों को ट्रेनिंग देते रहे। आज दोनों ही नेशनल के साथ विदेशों में प्रतियोगिता खेल चुके हैं। अभी खेल अकादमी में आगे की ट्रेनिंग ले रहे हैं ।
बच्चों के साथ में शुरुआत में सख्ती करना पड़ी। वे दूध नहीं पीते थे। जोर देने पर उल्टी कर देते। इस पर वे उन्हें उठाते और अपने सामने दूध पीने को कहते। अनिल बताते हैं कि बच्चों से सख्ती का उनके पिता ने विरोध किया। वे इतनी सख्ती नहीं करना चाहते थे। बेटी को सिखाया तो यह कहा गया कि लड़की है, इसको कुश्ती क्यों सिखा रहे हो। इसके बाद भी वे दोनों को ट्रेनिंग देते रहे। आज दोनों ही नेशनल के साथ विदेशों में प्रतियोगिता खेल चुके हैं। अभी खेल अकादमी में आगे की ट्रेनिंग ले रहे हैं ।