कार्बन क्रेडिट एक तरह का अंतरराष्ट्रीय प्रमाण पत्र होता है, जिसे कार्बन उत्सर्जन पर नजर रखने वाली एजेंसियां जारी करती हैं. इस योजना के तहत जो कंपनियां अच्छी तकनीक का इस्तेमाल कर कार्बन उत्सर्जन कम करती हैं उन्हें कार्बन क्रेडिट मिलता है. ऐसा करने वाली कंपनियां अपना कार्बन क्रेडिट उन देशों में बेच सकती हैं, जहां कार्बन उत्सर्जन अधिक है. वे कंपनियां या देश कार्बन क्रेडिट खरीदते हैं, जो कार्बन उत्सर्जन में कमी नहीं कर पा रहे हैं. कार्बन क्रेडिट लेने का उन्हें यह लाभ होता है कि इसकी वजह से उन्हें कार्बन उत्सर्जन कम करने के लिए भारी-भरकम राशि खर्च करने से तात्कालिक छूट मिल जाती है.

कार्बन क्रेडिट का यही फायदा प्रदेश के 20 से ज्यादा नगरीय निकायों को दिलवाने का प्रयास किया जा रहा है. इसके अलावा देश के करीब पांच अन्य नगरीय निकायों को भी यह लाभ मिलेगा. उनके साथ भी इसके लिए बाकायदा अनुबंध किया गया है.
इंदौर स्मार्ट सिटी कंपनी प्रदेश के दूसरे नगरीय निकायों को एग्रीगेटर बिजनेस माडल के तहत कार्बन क्रेडिट का लाभ दिलवाएगी.नगरीय निकायों को कार्बन क्रेडिट से जो आय होगी उसकी 50 फीसदी राशि स्मार्ट सिटी कंपनी को मिलेगी. स्मार्ट सिटी डेवलपमेंट लिमिटेड कंपनी ने एग्रीगेटर बिजनेस माडल के लिए अनुबंध किया है. स्मार्ट सिटी कंपनी को विगत वर्ष कार्बन क्रेडिट की ब्रिकी से 8.32 करोड़ रुपये राशि मिली थी. एग्रीगेटर बिजनेस मॉडल के माध्यम से शहरी और ग्रामीण निकायों को ऊर्जा संरक्षण के उपाय विकसित करने में सहयोग किया जाएगा. इसके अलावा उन्हें कार्बन क्रेडिट से लाभ भी मिलेगा.