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हृदय रोग से पीड़ित लोगों की पसंद बनी ‘स्मार्ट वॉच’ और ‘फिटनेस बैंड’, जमकर हो रही है खरीदी

locationइंदौरPublished: Oct 27, 2021 03:53:55 pm

Submitted by:

Ashtha Awasthi

खास बात यह है कि बच्चों से लेकर बुजुर्गों तक में इसका क्रेज बराबर देखा जा रहा है….

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heart rate

इंदौर। शहर में हृदय रोग से पीड़ितों की संख्या लगातार बढ़ रहे है। कोविड-19 से उपजे तनाव ने इसे और बढ़ा दिया है। दिल की बीमारियों से बचने के लिए इसकी समुचित देखरेख जरूरी है। तकनीक के इस दौर में स्मार्टवॉच या फिटनेस बैंड की मदद से दिल की धड़कानों की नियमित मॉनिटरिंग करना सजगता के साथ ही फैशन भी बन गया है। इस बार दिवाली पर शहर के मॉल और इलेक्ट्रॉनिक दुकानों पर स्मार्ट वॉच और फिटनेस बैंड की जमकर खरीदी हो रही है। खास बात यह है कि बच्चों से लेकर बुजुर्गों तक में इसका क्रेज बराबर देखा जा रहा है।

दिल की धड़कन होती है रिकॉर्ड

कम रेंज वाली हार्ट रेट मॉनिटरिंग डिवाइस में भी वीओ2 मैक्स ट्रैकिंग फीचर आने लगे हैं। इसका मतलब होता है कि एक्सरसाइज के दौरान ऑक्सीजन की कितनी खपत होती है। आमतौर पर एथलीट्स के कार्डियोवैस्क्युलर फिटनेस को मापने के लिए भी इसका उपयोग किया जाता है। इससे यह पता चलता है कि कॉर्डियोरेस्पिरेटरी फिटनेस किस तरह की है। आजकल बड़ी संख्या में लोग इस तरह के मॉनीटरिंग डिवाइस का इस्तेमाल करते हैं, लेकिन सवाल यह भी है कि क्या इन डिवाइस पर भरोसा किया जा सकता है।

कीमत 2 हजार से शुरू

बाजार में स्मार्ट वॉच और फिटनेस बैंड की रेंज 2000 रुपए से शुरू है। ज्यादातर लोग अपनी नियमित गतिविधियों जैसे पैदल चलते हुए कदम गिनने और नियमित कैलोरी खर्च जानने के लिए इनका इस्तेमाल कर रहे हैं। इन घड़ियों में अन्य कई तरह के फीचर भी लोगों को लुभा रहे हैं।

गैजेट्स पर कम करें भरोसा

वहीं शहर के कॉर्डियोलॉजिस्ट डॉ. एडी भटनागर का कहना है, बाजार में बिक रहे स्मार्ट गैजेट्स जिनमें स्मार्ट वॉच और फिटनेस बैंड सिर्फ दैनिक कार्यप्रणाली पर नजर रखने का काम करते हैं। इन पर हार्ट रेट, ऑक्सीजन लेवल आदि की जानकारी तो दी जाती हैं लेकिन इस पर भरोसा करके अपनी सेहत निर्णय लेना ठीक नहीं है। थोड़ी असमान्य स्थिति में तुरंत डॉक्टरी सलाह लेना और ईसीजी, टीएमटी टेस्ट करवाकर ही दिल सही स्थिति का पता लगाया जा सकता है।

50 फीसदी ही देते हैं सही रिजल्ट

अध्ययनों से पता चलता है कि अधिकांश डिवाइस दिल की धड़कनों को सही तरीके से रिकॉर्ड करने का कार्य करते हैं। हालांकि चेस्ट स्ट्रैप डिवाइस कलाई पर पहने जाने वाले वियरेबल की तुलना में ज्यादा सटीक होता है। एक स्टडी के मुताबिक, फोटोप्लेथिसमोग्राफी (पीपीजी) लाइट सेंटर की एक्यूरेसी के अध्ययन में यहा पाया गया कि केवल 50 फीसदी गैजेट ही सही रिजल्ट दे पाते हैं।

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