लोकायुक्त पुलिस ने प्रदेश में सबसे ज्यादा किसी विभाग या कहें जवाबदार पद पर बैठे सरकारी कर्मचारी पर कार्रवाई की तो वह है पटवारी। पांच साल में बड़ी संख्या में पटवारी रंगेहाथ रिश्वत लेते पकड़ाए हैं। नामांतरण, बटांकन और बंटवारा बिना उनसे व्यवहार निभाए नहीं हो सकता। इन सभी परेशानियों से किसान या जमीन खरीदने वालों को मुक्ति दिलाने के लिए सरकार ने कुछ साल पहले ऐसी व्यवस्था कर दी थी कि जमीन की रजिस्ट्री होते ही सीधे प्रकरण तहसीलदार की अदालत में पहुंचे और जमीन का नामांतरण हो जाए। हालांकि इस व्यवस्था को लेकर तहसीलदारों ने तकनीकि खामियां बताई थी।
इस संबंध में राजस्व विभाग के आयुक्त ने प्रदेश के सभी तहसीलदारों को पत्र लिखकर निर्देश जारी कर दिए हैं। कहना है कि राजस्व न्यायालयों की कम्प्यूटरीकरण परियोजना (आरसीएमएस) अंतर्गत संपदा पोर्ट में पंजीकृत दस्तावेजों की जानकारी प्राप्त हो रही है जिसके आधार पर राजस्व न्यायालयों द्वारा नामांतरण प्रकरण दर्ज कर कार्रवाई की जा रही है। इस सबंध में बताया गया कि प्रकरण के निराकरण के पहले यह आवश्यक है कि दस्तावेज जिसके आधार पर नामांतरण का आदेश दिया जा रहा है वह प्रकरण में उपलब्ध हो। कार्रवाई के दौरान यदि आवेदक व अनावेदक, खरीदने वाला या बेचने वाला उपस्थित नहीं हो तो पंजीकृत दस्तावेज उपलब्ध नहीं हो पाते है। ।
इस पर स्टाम्प आईजी से संपदा पोर्टल से आरसीएमएस पोर्टल में रजिस्ट्री की प्रति उपलब्ध कराने के संबंध में लिखा गया। इस पर स्टॉम्प आईजी ने संपदा पोर्टल से आरसीएमएस पोर्टल पर रजिस्ट्री उपलब्ध करने की बात कही है। सॉफ्टवेयर के जरिए तहसीलदार उसे प्राप्त कर सकता है। अब तहसीलदारों के पास नामांतरण नहीं करने का कोई बहाना नहीं होगा।