scriptपैरेंट्स और बच्चों के बीच स्पेशल बांडिंग क्रिएट करती हैं कहानियां | relationship between parents and children | Patrika News

पैरेंट्स और बच्चों के बीच स्पेशल बांडिंग क्रिएट करती हैं कहानियां

locationइंदौरPublished: Aug 14, 2017 11:50:00 am

एनडीपीएस की तीर्थांजलि एकेडमी में आर्ट ऑफ स्टोरी टेलिंग सब्जेक्ट पर प्रोग्राम

story telling

स्टोरी वाला ऑर्गनाइजेशन की नूपुर अग्रवाल

इंदौर. समय की बात है कि जब हर दिन बच्चों को दादी-नानी की कहानियों का इंतजार रहता था, लेकिन आज के तकनीकी संसार ने बच्चों के हाथ में टैबलेट, मोबाइल, वीडियो गेम थमा कर उन्हें किस्से और कहानियों की दुनिया से दूर कर दिया है। किस्से और कहानियां बच्चों को न सिर्फ नींद के करीब ले जाती है बल्कि उन्हें समाज और जीवन के पहलुओं से भी रूबरू करवाती है। यह कहना है बेंगलूरु के स्टोरी वाला ऑर्गनाइजेशन की नूपुर अग्रवाल का। वह एनडीपीएस स्कूल की तीर्थांजलि एकेडमी में रविवार को आयोजित आर्ट ऑफ स्टोरी टेलिंग कार्यक्रम में बोल रही थीं। कार्यक्रम में संस्था की चेयरपर्सन सिंधु सुधाकर मेंडके, प्रिंसिपल विस्टन गोमेज और प्ले स्कूल की हेड मिस्ट्रेस परवीन डावर विशेष रूप से उपस्थित रहीं।

बनता है गहरा रिश्ता
नूपुर बताती हैं कि जब सुबह से शाम तक पैरेंटस को बच्चों के लिए समय नहीं मिल पाता है तो बेड टाइम स्टोरीज से बच्चों को जानने और समझने का सबसे अच्छा तरीका है। आप बच्चों को गोदी में सुलाकर या उसके पास बैठकर कहानी कहते हैं तो आपके आई कॉन्टेक्ट और अफेक्शन एक्सप्रेस करने के तरीके से बच्चा स्पेशल अटैचमेंट फील करता है। इससे वह स्कूल या लाइफ में आने वाली प्रॉब्लम्स को लेकर आपसे खुलकर बात करेगा।

दिल में बुराई ना पनपे
नूपुर बताती हैं कि बदलते समय के साथ हम आगे बढ़ रहे हैं। बच्चों को स्टेप मदर या स्टेप सन के बुरे बर्ताव की स्टोरीज न सुनाएं। बच्चों का दिल पानी की तरह साफ होता है, ऐसे में ध्यान रखें कि कोई ऐसी कहानी न सुनाएं जो बच्चों के दिलों में बुराई के बीज डाले। एेसी कहानी सुनाएं जो उन्हें मेंटली स्ट्रॉन्ग करने के साथ एजुकेट भी करे।

स्टोरी टेलिंग के तरीके
नूपुर बताती हैं कि बच्चों को कहानी सुनाने के दो तरीके होते हैं। पहला पैरेंट्स लाउड रीडिंग कर और दूसरा परफॉर्मेंस के साथ कहानी सुनाएं। वॉइस मॉड्यूलेशन, एक्सप्रेशन, एक्शन और साउंड से बच्चों को कहानी सुनाते हैं तो वह ज्यादा इफेक्टिव होता है। बच्चे को उसके इंटरेस्ट और उम्र के हिसाब से कहानी सुनाएं।

स्टोरी टेलिंग के फायदे
बच्चों में इमेजिनेशन पॉवर बढ़ती है।
भावनात्मक विकास होता है और खुद को सोसायटी से आसानी से कनेक्ट करते हैं।
सुनने की क्षमता बढ़ती है।
व्यक्तित्व में निखार आता है।
पैरेंट्स की बच्चों के साथ इनडायरेक्ट अप्रोच बढ़ती है।
लैग्वेंज पर कमांड होती है।
रीडिंग हैबिट डेवलप होती है।
बच्चे खुद को आसानी से एक्सप्रेस कर सकते हैं।
मोरल वैल्यूज बढ़ती है।
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