सीईटी के जरिए प्रमुख विभागों के ३४ कोर्स पर एडमिशन दिए जाते हैं। पहली बार २०१७ में प्रो.अनिल कुमार की अध्यक्षता में ऑनलाइन परीक्षा कराई गई। पहले एमपी ऑनलाइन से परीक्षा कराना तय किया था, लेकिन ऐनवक्त पर वित्त विभाग की आपत्ति के कारण यूनिवर्सिटी को टेंडर प्रक्रिया से गुजरना पड़ा। इसमें एमपी ऑनलाइन ने हिस्सा ही नहीं लिया। परीक्षा के बाद से ही सीईटी विवादों में घिरती चली गई।
यूनिवर्सिटी ने जो सीईटी का रिजल्ट जारी किया, उसमें कई सवालों के जवाब गलत होने के दावे किए। भारी हंगामे के बाद विषय विशेषज्ञों से जवाब बनवाए तो छात्रों के दावे सही मिले। यूनिवर्सिटी को गलती मानते हुए सीईटी का रिजल्ट वापस लेते हुए दोबारा से कॉपियां जंचवाना पड़ी। इसके बाद रिजल्ट से पहले ही सीईटी देने वालों के अंक और मेरिट वायरल हो गई। इस पर कार्यपरिषद ने भी एजेंसी और सीईटी कमेटी पर सवाल खड़े किए। इस बार के लिए नए सिरे से टेंडर प्रक्रिया कराने के बजाय यूनिवर्सिटी ने फिर आरोपों से घिरी एजेंसी को परीक्षा की जिम्मेदारी दे दी।
चेयरमैन भी हुए रीपिट
एजेंसी के साथ-साथ सीईटी के चेयरमैन डॉ.अनिल कुमार को भी दोबारा मौका दे दिया गया है। कार्यपरिषद सदस्यों में भी इस फैसले को लेकर नाराजगी है। उनका कहना है कि पिछले साल इतनी गड़बडिय़ां के कारण यूनिवर्सिटी की साख खराब हुई थी। इसलिए कमेटी पर कार्रवाई होना चाहिए थी। लेकिन, दोबारा मौका देते हुए यूनिवर्सिटी ने क्लीनचिट दे दी। इसकी शिकायत भी राजभवन को की जा रही है।
एजेंसी के साथ-साथ सीईटी के चेयरमैन डॉ.अनिल कुमार को भी दोबारा मौका दे दिया गया है। कार्यपरिषद सदस्यों में भी इस फैसले को लेकर नाराजगी है। उनका कहना है कि पिछले साल इतनी गड़बडिय़ां के कारण यूनिवर्सिटी की साख खराब हुई थी। इसलिए कमेटी पर कार्रवाई होना चाहिए थी। लेकिन, दोबारा मौका देते हुए यूनिवर्सिटी ने क्लीनचिट दे दी। इसकी शिकायत भी राजभवन को की जा रही है।
मई में होगी परीक्षा, रिजल्ट से पहले मॉडल ऑन्सरशीट सीईटी कमेटी की पहली बैठक शुक्रवार को हुई। इसमें ज्यादातर सदस्य अनुपस्थित रहे। प्रो.अनिल कुमार ने बताया, मई के दूसरे सप्ताह में सीईटी करा ली जाएगी। इस बार कोई विवाद की स्थिति न बने इसलिए रिजल्ट से पहले मॉडल ऑन्सरशीट जारी करेंगे। आपत्तियां आने पर इनका निराकरण कराएंगे।