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इंदौर

रॉ मटेरियल की बढ़ती कीमतों ने बढ़ाई उद्योगों की परेशानी, प्लास्टिक से लेकर केमिकल और मेटल तक सब महंगा

– आयात प्रभावित होने से फार्मा इंडस्ट्रीज के कच्चे माल की कीमतों में भी उछाल
 

इंदौरOct 20, 2021 / 09:04 pm

विकास मिश्रा

रॉ मटेरियल की बढ़ती कीमतों ने बढ़ाई उद्योगों की परेशानी, प्लास्टिक से लेकर केमिकल और मेटल तक सब महंगा

रॉ मटेरियल की बढ़ती कीमतों ने बढ़ाई उद्योगों की परेशानी, प्लास्टिक से लेकर केमिकल और मेटल तक सब महंगा

इंदौर. कोरोना की दूसरी लहर लगभग खत्म होने से राहत की सांस ले रहे उद्योग जगत को कच्चे माल (रॉ मटेरियल) की बढ़ती कीमतों ने परेशानी में डाल दिया है। पिछले पांच महीने में लगभग हर उद्योग में लगने वाले कच्चे माल की कीमतों में अनापेक्षित इजाफा हुआ है। विदेशों से आने वाले माल के आयात में कमी के अलावा पेट्रोल-डीजल के बढ़ते दाम भी इसकी मुख्य वजह है। कुछ रॉ मटेरियल के दाम तो पिछले चार महीने में लगभग दोगुने तक पहुंच गए हैं। लगातार बढ़ती कीमतों का असर अब उत्पादन पर पड़ रहा है। पुराने ऑर्डर को पूरा करने में उद्योगपतियों को नुकसान झेलना पड़ रहा है, इसलिए भी उत्पादन कम हो रहा है। प्लास्टिक के दाने से लेकर केमिकल, मेटल के साथ दवा बनाने में काम आने वाले कच्चे माल की कीमतें आसमान छू रही हैं।
130 से 260 रु किलो हुई एल्यूमिनियम की कीमत

मेटल इंडस्ट्रीज के डायरेक्टर योगेश मेहता के मुताबिक जून की तुलना में लगभग हर धातु के रॉ मटेरियल की कीमतों में बढ़ोतरी हुई है। मई-जून में एल्यूमिनियम की कीमत करीब 130 रुपए किलो थी जो अब 260 रुपए किलो तक पहुंच गई है। इसी तरह जो लोहा जून में 42 से 43 रुपए किलो तक मिल रहा था, वही इन दिनों 65 रुपए किलो तक पहुंच गया। लोहे का इस्तेमाल कई इंडस्ट्रीयों में होता है। मशीनरी और इंजीनियरिंग के अलावा कृषि उपकरण बनाने वाले उद्योगों को इससे खासी परेशान हो रही है।
प्लास्टिक की कीमतें 50 फीसदी बढ़ीं

इंदौर संभाग मप्र में प्लास्टिक उद्योग का हब है। यहां प्लास्टिक की छोटी-बड़ी मिलाकर करीब 6 हजार इंडस्ट्री है जो हर महीने करीब 1200 करोड़ का टर्न ओवर करती हैं। प्लास्टिक के रॉ मटेरिलय (दाने) की कीमत में तीन महीने में 50 फीसदी तक का इजाफा हुआ है। प्लास्टिक एसोसिएशन के सचिन बंसल ने बताया, जुलाई में 80-82 रुपए किलो मिलने वाले दाने की कीमत अभी 120-122 रुपए किलो चल रही है। पुरानी कीमतों के आधार पर लिए गए ऑर्डर पूरे करने में अब घाटा उठाना पड़ रहा है। आने वाले दिनों में कीमतों में और इजाफा होने की आशंका है।
केमिकल में भी लगी ‘आग

एआइएमपी के सहसचिव तरुण व्यास ने बताया, सर्फ-साबुन सहित अन्य इंडस्ट्री में इस्तेमाल होने वाले केमिकल की कीमतों में दो गुना से अधिक का इजाफा हो गया है। जो कास्टिक सोड़ा जून-जुलाई में 30 रुपए किलो था, इन दिनों उसकी कीमत 65 रुपए तक पहुंच गई है। सल्फ्यूरिक एसिड के भाव में ढाई गुना की बढ़ोतरी हुई है। दो महीने में 8 रुपए किलो से 20 रुपए किलो तक दाम पहुंच गया है। सोडियम नाइट्राइड की कीमत 30 रुपए से बढ़कर 80 रुपए किलो हो गई है। इसी तरह सोड़ा 20 से बढ़कर 35 रुपए तक पहंच गया है।
क्राफ्ट पेपर ने पैकेजिंग उद्योग का निकाला दम

कोरोगेटेड बॉक्स (पुष्टे के खाकी बक्से) बनाने में इस्तमाल होने वाले क्राफ्ट पेपर (रॉ मटेरियल) के भाव दो गुना बढ़ गए हैं। पुनीत माहेश्वरी ने बताया, 19-20 रुपए किलो वाला क्राफ्ट पेपर इन दिनों 38-39 रुपए किलो चल रहा है। पेपर महंगा होने से निर्माण लागत बढ़ गई है। इससे पूरे पैकिंग इंडस्ट्रीज पर असर आ रहा है। पैकिंग में इस्तेमाल होने वाली प्लास्टिक की कीमतें भी बढ़ी हुई हैं। बुधवार को इस बढ़ोतरी को लेकर एसोसिएशन की बैठक है।
दवा निर्माण भी महंगा

फार्मा एसोसिएशन के हिमांशु शाह ने बताया, चीन में बिजली संकट के कारण दवाओं का कच्चा माल महंगा हो गया है। आयत प्रभावित होने के कारण पैरासिटामोल 795 रुपए प्रति किलो से बढ़कर 960 तक पहुंच गया है। ग्लीसरीन के भाव अगस्त में 140 थे जो अब 260 रुपए हो चुके हैं। सिप्रोफ्लोक्सिन की कीमत 2150 से बढ़कर 2400 रुपए हो गई है। एजिथ्रोमाइसिन भी 2250 से बढ़कर 2875 रुपए तक पहुंच गई है। इसी तरह कोयला भी 7 से बढ़कर 11 रुपए किलो हो गया है।
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