अब आपके शहर की सडक़ की ऐसी होगी गाइड लाइन
सीमेंट कांक्रीट की सडक़ के नाम पर बर्बादी को रोकने के लिए नगरीय प्रशासन विभाग ने जारी किए नियम

इंदौर.
गलियों और कॉलोनियों में बनने वाली सीमेंट कांक्रीट की सडक़ों को बनाने के नाम पर चल रही धांधली की लगातार शिकायतों के बाद अब इसे रोकने के लिए खुद नगरीय प्रशासन विभाग को आगे आना पड़ा है। विभाग ने इन सडक़ों को बनाने के लिए बकायदा गाइड लाइन बनाई है। अब इसी गाइड लाइन के हिसाब से ही पूरे प्रदेश में सीमेंंट कांक्रीट की सडक़ बनाई जाएगी।
छोटी गलियों, कॉलोनियों और खासतौर पर बस्तियों में बनने वाली सडक़ों को सही तरीके से नहीं बनाने केकारण वे जल्दी खराब हो जाती हैं। सडक़ बनने के कुछ ही समय बाद इसकी उपरी परत उखडऩे के साथ ही सडक़ों में गड्ढ़े पडऩे शुरू हो जाते हैं। इंदौर में ही कई जगह पर पांच सालों में दो-दो बार सडक़ें बनवाना पड़ती हैं। जिससे आम जनता के पैसों की बर्बादी होती है। इसके चलते नगरीय प्रशासन विभाग ने बकायदा इसके लिए गाइड लाइन बना दी है।
- सडक़ पर से भारी वाहन गुजरते हैं या नहीं, उसके हिसाब से उसका वर्गीकरण कर सडक़ बनाई जाए।
- भारी वाहनों के लिए भारतीय रोड कांग्रेस द्वारा 2015 में तय नियम 58 लागू होंगे।
- मध्यम और कम यातायात दबाव वाली सडक़ों के लिए भारतीय रोड कांग्रेस के 2015 में तय नियम 62 का पालन कराना होगा।
- सीमेंट कांक्रीट सडक़ को बनाने के दौरान माल तय करने के लिए भारतय सडक़ कांग्रेस द्वारा 2011 में तय किए गए नियम १५ को लागू करना होगा।
- 2.4 मीटर से कम चौड़ी सडक़ों के लिए मॉडल स्टैंर्ड सेक्शन्स का उपयोग किया जाएगा।
- सडक़ पर ड्रेनेज के कारण होने वाली दिक्कतों के चलते सडक़ डिजाइन में केंबर आवश्यक तौर पर रखा जाए। ताकि सडक़ के कैरेज वे और शोल्डर से पानी बहकर सीधे साइड ड्रेन्स में चला जाए। ये भी ध्यानरखा जाए कि इसमें कोई अवरोध न आए।
- साइड ड्रेन्स का आकार उस क्षेत्र में वर्षा और बहकर आने वाले पानी की स्थिति का आंकलन कर ही रखा जाए। जहां पर सडक़ और जमीन के स्लोप में अंतर हो वहां पर जमीन कीखुदाई कर सडक़ किनारे साइड ड्रेन्स को तैयार किया जाए।
- साइड ड्रेन्स को आवश्यक रूप से पास में बहने वाली ऐसी ड्रेन लाइन में मिलाया जाए जिसमें ये पानी समाहित करने की क्षमता हो ओर वो बड़ी ड्रेन लाइन से मिलती हो।
- सडक़ के नीचे यदि काली मिटट्ी की परत आ रही है तो वहां पर ड्रेनेज लाइन का प्रावधान आवश्यक रूप से सडक़ में किया जाए ताकि सडक़ के नीचे की मिट्टी पानी के कारण न खिसके।
- सडक़ों के निर्माण के बाद उसका भूगतान सडक़ के एक हिस्से को सातवें और 28 वें दिन काटकर उसकी टेस्टिंग कराने के बाद ही किया जाए।
- सडक़ बनाने के बाद 7वें दिन यदि क्यूब टेस्टिंग के दौरान डिजाइन स्ट्रेंथ से ६६.६० फिसदी से कम मिलती है तो ठेकेदार को कोई भूगतान न किया जाए और काम को अस्वीकार्य घोषित किया जाए।
हम लगातार नियमों का पालन करते हुए ही सडक़ों का निर्माण करते हैं। नए नियमों का भी पालन किया जाएगा।
- अशोक राठौर, सिटी इंजीनियर, नगर निगम
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