– ५० बच्चों का संवारा भविष्य
संस्था खाना बांटने के साथ ही बच्चों को शिक्षा देने का काम भी करती है। संस्था के प्रतीक बंसल और निखिल पाहुजा ने बताया की संस्था खाना बांटने जब बस्तियों में जाती थी तो देखते थे कई बच्चे एसे हैं जो स्कूल नहीं जाते। कई बच्चों के माता पिता अपना ठिकाना बदलते रहते थे। तो एसे में हम उनसे जुड़े उन्हे शिक्षा के प्रति जागरूक किया। अब तक हम ५० से अधिक एसे बच्चों के स्कूलों में एडमिशन करवा चुके हैं जो कभी स्कूल नहीं जाते थे। जो बच्चे स्कूल नहीं जा पा रहे उन्हें बस्तियों उनके घरों के आसपास ही पढ़ाया जा रहा है।
संस्था खाना बांटने के साथ ही बच्चों को शिक्षा देने का काम भी करती है। संस्था के प्रतीक बंसल और निखिल पाहुजा ने बताया की संस्था खाना बांटने जब बस्तियों में जाती थी तो देखते थे कई बच्चे एसे हैं जो स्कूल नहीं जाते। कई बच्चों के माता पिता अपना ठिकाना बदलते रहते थे। तो एसे में हम उनसे जुड़े उन्हे शिक्षा के प्रति जागरूक किया। अब तक हम ५० से अधिक एसे बच्चों के स्कूलों में एडमिशन करवा चुके हैं जो कभी स्कूल नहीं जाते थे। जो बच्चे स्कूल नहीं जा पा रहे उन्हें बस्तियों उनके घरों के आसपास ही पढ़ाया जा रहा है।
– एमवाय में मिला कोल्ड स्टोरेज
खासबात है की संस्था को एमवाय अस्प्ताल में ही संभागायुक्त संजय दुबे ने कोल्ड स्टोरेज दिलवाया था। यहां वे एसा खाना रखते हैं जो देर रात तक इन्हे मिलता है और वह खराब न हो इसके लिए यह व्यवस्था की गई। निखिल का कहना है की होटलों से खाना हमेशा देर रात मिलता है, जिसके चलते उन्हें बांटने के लिए जाओ तब तक लोग सो जाते थे। एसे में कोल्ड स्टोरेज मिलने से वह खाना यहां रख सुबह जल्दी वितरित कर दिया जाता है।
खासबात है की संस्था को एमवाय अस्प्ताल में ही संभागायुक्त संजय दुबे ने कोल्ड स्टोरेज दिलवाया था। यहां वे एसा खाना रखते हैं जो देर रात तक इन्हे मिलता है और वह खराब न हो इसके लिए यह व्यवस्था की गई। निखिल का कहना है की होटलों से खाना हमेशा देर रात मिलता है, जिसके चलते उन्हें बांटने के लिए जाओ तब तक लोग सो जाते थे। एसे में कोल्ड स्टोरेज मिलने से वह खाना यहां रख सुबह जल्दी वितरित कर दिया जाता है।