कश्मीर में राजनीतिक अस्थिरता से घटा केसर का उत्पादन
इंदौरPublished: Aug 09, 2019 05:48:31 pm
कश्मीरी सेब के लिए करना होगा इंतजार
इंदौर. कश्मीर में राजनीतिक उथल-पुथल और प्रशासन की लापरवाही से केसर के उत्पादन में गिरावट आई है। दुनिया के इस सबसे महंगे मसाले का कश्मीर दूसरा सबसे बड़ा उत्पादक हैण् सरकार ने 2010 में नेशनल सैफ्रन मिशन लांच किया था लेकिन इससे भी केसर का उत्पादन और रकबा बढ़ाने में सफलता नहीं मिली। केसर का सबसे अधिक उत्पादन ईरान में होता है। दुनिया में केसर के उत्पादन में 90 फीसदी हिस्सेदारी रखने वाले ईरान में 60 हजार हैेक्टेयर जमीन में इसकी खेती होती है। पिछले वित्त वर्ष में केसर का प्रति हैक्टेयर औसत उत्पादन घटकर 1.7 किलोग्राम रह गया जोकि 2010-11 में 2.7 किलोग्राम था। इस अवधि में केसर का रकबा भी 3715 हैक्टेयर से घटकर 2462 हैक्टेयर हो गया। इससे 1.5 लाख से 2.25 लाख रुपये प्रति किलोग्राम बिकने वाले केसर के उत्पादन में बड़ी गिरावट आई है।
कश्मीरी सेब जेब पर पड़ेगा भारी
जम्मू और कश्मीर से आर्टिकल 370 और 35ए हटने का असर भले ही समय बीतने के साथ दिखेगाए लेकिन अभी कश्मीर से आने वाले फलों को बाजार में खोजना मुश्किल हो गया है। इतना ही नहीं आने वाले दिनों में इनकी कीमतें भी बढ़ सकती हैं। कश्मीर में अभी कड़ी सुरक्षा व्यवस्था के कारण सेब, आलूबुखारा और नाशपाती के ट्रांसपोर्ट पर असर पड़ा है। राज्य में बहुत कम ट्रक चल रहे हैं और माल भाड़ा 30 फीसदी तक बढ़ गया है। इससे फलों की कीमतों में भी वृद्धि होने की आशंका है। थोक मंडी में सेब अभी लगभग 50 से 60 रुपये प्रति किलोग्राम पर बिक रहा है। बेस्ट क्वालिटी डिलिसेस सेब 120 से 150 रुपए भाव बोले जा रहे है। ट्रेडर्स का कहना है कि पिछले एक सप्ताह में दाम स्थिर रहा है, लेकिन आवक में देरी होने से यह 10 फीसदी तक बढ़ सकता है। आलूबुखारा और नाशपाती की कीमतें 10.12 फीसदी तक बढ़ सकती हैं। अभी आलूबुखारा की कीमत 50 रुपये प्रति किलोग्राम और नाशपाती की करीब 50 रुपये प्रति किलोग्राम है। भारत ने अमेरिका से आने वाले सेब पर आयात शुल्क बढ़ाया है। इससे देश में सेब के उत्पादन को बढ़ावा मिलेगा।