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सैलरी क्लास दे रहा प्रोफेशनल्स-बिजनेसमैन से ज्यादा आयकर

locationइंदौरPublished: Jul 04, 2019 04:14:39 pm

आयकर नियमों की विसंगति : छूट बढ़ाने की मांग

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सैलरी क्लास दे रहा प्रोफेशनल्स-बिजनेसमैन से ज्यादा आयकर

इंदौर. कानून में विसंगति के चलते सैलरी पाने वाले, कारोबारी या प्रोफेशनल्स से ज्यादा आयकर भुगतान कर रहे हैं। जानकारों के अनुसार टैक्स का स्लैब दोनों के लिए समान है, लेकिन कॉस्ट ऑफ टैक्स में अंतर अधिक होने से ऐसा हो रहा है। सीधे शब्दों में कहे तो, सैलरी पाने वाले व्यक्ति के लिए छूट के सीमित और पुराने मानकों पर आधारित विकल्प हैं। वहीं प्रोफेशनल्स व बिजनेसमैन के लिए छूट के मानक वहीं है, लेकिन छूट लेने के विकल्प ज्यादा हैं। केंद्रीय बजट से पहले देशभर के ट्रेड एसोसिएशन और फेडरेशन की तरफ से टैक्स की इन विसंगतियों को दूर करने और सैलरी पर्सन के बोझ को कम करने की मांग उठी है।
ट्रेड संगठनों ने केंद्र को भेजे प्रस्तावों में धारा-80 सी और मानक कटौती की राशि बढ़ाने की मांग की है। प्रोफेशनल्स अपनी आय का बड़ा हिस्सा टैक्स छूट के लिए निर्धारित खर्चों को बताकर ले लेते हैं। उदाहरण के तौर पर ट्रेवल अलाउंस कारोबारी या प्रोफेशनल्स खर्च में बता देते हैं, जबकि सैलरी पर्सन के लिए यह निर्धारित होता हैं। दूसरा बड़ा उदाहरण होम लोन के ब्याज पर दी जाने वाली छूट है। इसमें बढ़ोतरी होनी चाहिए। 50 लाख रुपए से कम आय वाले प्रोफेशनल्स आधी आय को खर्च घोषित कर आधी पर टैक्स दे देते हैं, जबकि सैलरी पर्सन ऐसा नहीं कर सकता है।
यह होना चाहिए
स्टैंडर्ड डिडक्शन बढ़े। इसके लिए स्लैब बने।
ट्रेवल व मेडिकल खर्च वापसी की नीति बने, जिससे सभी को एक समान छूट मिल सके।
हाउस रेंट, शहरी अलाउंस आदि की सीमा में बढ़ाई जाए।
होम लोन के ब्याज पर छूट की सीमा बढ़ाई जाए।
सैलरी और आय बढऩे के साथ खर्च भी बढ़ा है। दोनों के लिए मानकों में सुधार होना चाहिए, ताकि टैक्स चुकाने की प्रक्रिया में एकरूपता आए।
अभय शर्मा, सीए
धारा-80 सी में दी जाने वाली छूट बढऩा चाहिए। होम लोन के ब्याज पर दी जाने वाली छूट जैसे प्रावधानों को संशोधित करें।
स्वप्निल जैन, सीए

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