डीएसपी यादव के मुताबिक, सपना संगीता स्थित ब्रांच ने ग्यारंट के नाते चंद्रकांता विजयवर्गीय को नोटिस भेजा तो असलियत सामने आई। चंद्रकांता विजयवर्गीय की ओर से इओडब्ल्यू में शिकायत की गई थी। जांच में पता चला कि बैंक के उक्त दोनों अफसरों ने पंकज जैन की फर्म की जांच ही नहीं की। फर्म का जो पता दिया गया था वहां कार्तिकेय इंडस्ट्रिज के नाम से कोई फर्म ही नहीं है। यहीं नहीं चंद्रकांता विजयवर्गीय के जो फोटो, पहचान पत्र दिया गया था वह भी फर्जी था। अफसरों का मानना है कि उस समय दस्तावेज व फर्म की जांच कर ली जाती तो सच्चाई सामने आ जाती। आरोप है कि अफसरों की सांठगांठ से लोन दिया गया जिसके कारण पंकज जैन के साथ ही वरिष्ठ प्रबंधक गंगाधर विट्ठल हेडाऊ और संजय धकीते को भी आरोपित बनाया है। गंगाधर पिछले साल सेवानिवृत्त हो गए है जबकि संजय इस समय शाजापारु में ब्रांच मैनेजर बताए जा रहे है। पंकज अपने निवास से भी फरार है। वह यहां किराए से रहता था।