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ऑनलाइन क्लास के लिए भी मंगा रहे एक्टिविटी की किताबें

locationइंदौरPublished: Apr 12, 2021 07:22:47 pm

नए सत्र में हजारों की किताबें खरीदने को मजबूर अभिभावक

ऑनलाइन क्लास के लिए भी मंगा रहे एक्टिविटी की किताबें

ऑनलाइन क्लास के लिए भी मंगा रहे एक्टिविटी की किताबें

इंदौर. पूरे एक साल बंद रहे स्कूलों के बाद फिर से नया सत्र शुरू हो गया है। इस सत्र में भी अभी ऑफ लाइन कक्षाएं लगने की उम्मीद नहीं है। मगर, शुरुआत में ही अभिभावकों को किताबें खरीदने में बड़ा झटका लगा है। ऑनलाइन क्लास के लिए स्कूल ऐसी किताबें खरीदने के लिए भी दबाव बना रहे हैं, जिनका अभी कोई औचित्य नहीं है।
शहर के निजी स्कूलों ने नए सत्र की पढ़ाई शुरू करने से पहले ही किताबों की सूची थमा दी। इस सूची में कई ऐसी किताबें हैं, जो सिर्फ ऑफ लाइन कक्षाओं में ही एक्टिविटी के साथ पढ़ाई जा सकती है। मगर, स्कूल ऑनलाइन कक्षाओं में भी बच्चों से इन किताबों के बारे में पूछताछ कर रहे हैं। जिन बच्चों के पास ये किताबें नहीं हैं, उन्हें बार-बार किताबें खरीदने के लिए कहा जा रहा है। अभिभावकों को भी कोर्स की किताबें खरीदने से गुरेज नहीं है। मगर, जरूरी किताबों की तुलना में ये किताब कई गुना ज्यादा महंगी हैं। इस वजह से किताब-कॉपियों का बजट हजारों रुपए तक पहुंच रहा है। कुछ स्कूलों की तीसरी से सातवीं कक्षा का सैट ३ से ४ हजार रुपए तक आ रहा है। जबकि सिर्फ एनसीईआरटी की किताबों का पूरा सैट ही महज ३०० से ५०० रुपए में आसानी से मिल रहा है। इंदौर पालक संघ के अनुरोध जैन का कहना है कि इस संकट की घड़ी में भी निजी स्कूल पूरी तरह से अभिभावकों का शोषण कर रहे है। स्कूल में लगने वाली कक्षाओं की तुलना में ऑनलाइन कक्षाओं में आधा समय ही दिया जा रहा। ऐसे में एनसीईआरटी की किताबें पढ़ा दी जाएं तो काफी रहेगा।
निजी पब्लिशर की किताबों की कीमतों पर नियंत्रण नहीं
सीबीएसई के सभी स्कूलों में मूल पढ़ाई एनसीईआरटी की किताबों से ही कराई जा रही है। मगर, इनके साथ निजी पब्लिशर की किताबें भी सैट में शामिल कर दी गई। महज 50-60 पेज की किताबों की कीमत भी 250 रुपए तक है। ज्यादातर दुकानों पर ये किताबें सैट के साथ ही उपलब्ध कराई जा रही है। एनसीईआरटी की किताबें किसी अन्य दुकान से लेने पर ये किताब नहीं मिल पाती। ऐसे में मजबूरी में कई अभिभावकों ने पूरा सैट खरीदा है। दुकानदार राजेंद्र अवस्थी ने बताया कि स्कूल ने सैट में से दो किताबें बदल दी। ये किताबें अलग से नहीं मिली। इस कारण बड़े बेटे की किताबें छोटी बेटी के काम नहीं आ पा रही।
पिछले साल की कॉपियां ही कोरी
हर विषय की नई कॉपियां भी बनवा रहे है। इधर, कई अभिभावक चाहते है कि ऑनलाइन कक्षाओं में पिछले सत्र की बाकी कॉपियों में ही लिखने की अनुमति दी जाएं। बुटिक संचालिका विनीता ठाकुर का कहना है कि पिछले साल दोनों बच्चों ने दो रफ कॉपी में ही सभी विषय पढ़ लिए थे। तब की बाकी कॉपियों में गिनती के पेज ही भर पाए। हम चाहते है कि इन्हीं कॉपियों में इस बार लिखने का मौका मिले मगर, टीचर नहीं मान रही।
स्कूलों के खिलाफ कार्रवाई की जाएगी
किताबों को लेकर जो समस्या आ रही है, उस बारे में अभिभावक हमसे संपर्क कर सकते है। नियमानुसार अधिक किताबें मंगवाने वाले स्कूल ों के खिलाफ कार्रवाई की जाएगी।
– रवि कुमार सिंह, प्रभारी जिला शिक्षा अधिकारी
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