यहां स्कूल ही डाल रहे बच्चों की जान खतरे में
इंदौरPublished: Jan 21, 2019 10:34:56 am
स्कूल संचालक ऐसे कर रहे नियमों की अनदेखी
यहां स्कूल ही डाल रहे बच्चों की जान खतरे में
इंदौर. न्यूज टुडे.
डीपीएस बस हादसे को अभी सालभर ही हुआ है और स्कूल संचालक बच्चों की जान के साथ खिलवाड़ पर उतर आए हंै। सुप्रीम कोर्ट की गाइड लाइन के अनुसार स्कूल बसों की अधिकतम स्पीड ४० किमी प्रति घंटा रखना है। इसके लिए स्कूल बसों में स्पीड गवर्नर लगा होना जरूरी है। लेकिन स्कूल संचालक इस नियम का उपयोग सिर्फ आरटीओ से फिटनेस सर्टिफिकेट बनवाने के लिए कर रहे हैं। सर्टिफिकेट मिलते ही बसों की स्पीड बढ़ाने के लिए स्पीड गवर्नर सिस्टम बंद कर देते हंै।
पिछले पांच दिनों में परिवहन विभाग ने ऐसी १५ स्कूल बसों पर कार्रवाई की है, जो स्पीड गनर्वर में छेड़छाड़ कर तेज गति से स्कूल बसों को चला रहे हैं और नौनिहालों की जान से खेल रहे हैं। स्कूल संचालकों की लापरवाही किसी भी दिन डीपीएस बस जैसा हादसा दोहरा सकती है।
पिछले कुछ दिनों से आरटीओ जितेंद्र ङ्क्षसह रघुवंशी के निर्देश पर एआरटीओ निशा चौहान, ह्दय यादव और आरटीआई रवींद्र ठाकुर द्वारा स्कूल परिसरों में जाकर स्कूल बसें चेक की जा रही हैं। जिन बसों में फिटनेस नियमों का पालन नहीं किया जा रहा है, उनका सर्टिफिकेट मौके पर ही निरस्त किया जा रहा है। अभी तक ३० से अधिक स्कूलों का निरीक्षण किया जा चुका है।
ऐसी जल्दबाजी ठीक नहीं
जानकारी के अनुसार १६ जनवरी को आरटीओ अफसरों ने आईएटीवी एजुकेशन एकेडमी की ४ बसें, हक रजा स्कूल की १ बस, इंडेक्स मेडिकल कॉलेज की २ बसें और होली रोजरी स्कूल की एक बस का फिटनेस सर्टिफिकेट निरस्त किया। इन बसों में स्पीड गनर्वर तो लगा था, लेकिन तार कटा हुआ था। इसी तरह १७ जनवरी को प्रेस्टिज स्कूल की एक बस और डेजी डेल्स स्कूल की एक बस में स्पीड गवर्नर बंद मिला मिला।१८ जनवरी को शिशुकुंज स्कूल और बर्फानी कांवेट स्कूल की एक-एक बस में स्पीड गवर्नर के पाइप निकले पाए गए। १९ जनवरी को सेंट नॉर्बट स्कूल की एक बस और ग्लोबल इंटरनेशनल स्कूल की २ बसों का फिटनेस सर्टिफिकेट भी स्पीड गनर्वर काम नहीं करने पर निरस्त किया गया।
वर्जन
सभी स्कूल बसों का निरीक्षण किया जा रहा है। फिटनेस के लिहाज से जो भी बस नियमों की अनदेखी कर रही हैं, उनका सर्टिफिकेट मौके पर ही निरस्त किया जा रहा है। सभी बसों में स्पीड गनर्वर को लेकर विशेष तौर पर चेकिंग की जा रही है।
-जितेंद्र सिंह रघुवंशी, आरटीओ