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सिंधिया का मासला सुलझा, अब सूची प्रदेश भाजपा की जेब मे

locationइंदौरPublished: Jan 20, 2022 11:04:22 am

Submitted by:

Mohit Panchal

– इंदौर भाजपा की कार्यकारिणी का खुला रास्ता, किसी भी दिन घोषणा
नगर भाजपा अध्यक्ष गौरव रणदिवे की कार्यकारिणी अब किसी भी दिन प्रकट हो सकती है। केंद्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया का पेंच सुलझ गया है। पदाधिकारियों का खाका तैयार है और सूची प्रदेश भाजपा की जेब में रखी है। अब सिर्फ घोषणा का इंतजार है।

सिंधिया का मासला सुलझा,  अब सूची प्रदेश भाजपा की जेब मे

सिंधिया का मासला सुलझा, अब सूची प्रदेश भाजपा की जेब मे

मध्यप्रदेश के ५७ जिलों में से इंदौर नगर ही है, जिसमें पदाधिकारियों की घोषणा होना शेष है। जल्द ही उसकी भी घोषणा हो जाएगी। जो उलझन थी, वो दूर हो गई है। सभी जिलों में केंद्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया समर्थकों को उपकृत किया गया है। इसके लिए भाजपा ने फॉर्मूला बनाया था। मूल संगठन में आठ उपाध्यक्ष व आठ मंत्री होते हैं, लेकिन तीन-तीन की संख्या बढ़ाकर सिंधिया समर्थकों को दायित्व दे दिया गया। इंदौर में सिंधिया चाहते थे कि इस पैकेज के साथ में महामंत्री का पद भी दिया जाए।
इसके लिए उन्होंने अपने समर्थक मोहन सेंगर का नाम दिया था, जिसका दो नंबरी भाजपाइयों ने खुलकर विरोध कर दिया। बड़ी बात तो ये भी थी कि सेंगर विधानसभा का चुनाव लड़ चुके हैं। उनके कद के हिसाब से महामंत्री का पद छोटा था। फिर भी प्रतिष्ठा का सवाल बना रखा था लेकिन अब ये गुत्थी सुलझ गई। हालांकि ये खुलासा नहीं हुआ कि सेंगर की भूमिका क्य होगी? सिंधिया ने संगठन में ही पद पर समझौता किया या सरकार में कहीं निगम-मंडल में उपकृत किया जाएगा।
संभावना ये भी है कि सत्ता में गए तो आईडीए उपाध्यक्ष जैसा महत्वपूर्ण पद दिया जा सकता है। इधर, सिंधिया का पेंच खत्म होने के बाद सूची अब प्रदेश भाजपा अध्यक्ष वीडी शर्मा और संगठन महामंत्री सुहास भगत की जेब में है। संभावना है कि किसी भी समय वे घोषणा कर सकते हैं। वैसे भी नेताओं को लंबे समय से इंतजार है। पदाधिकारियों व कार्यकारिणी सदस्यों के नाम बाद में जारी किए जाएंगे।
अभियान पर अटकी गाड़ी

गौरतलब है कि प्रदेश भाजपा का विस्तारक अभियान आज से शुरू हो रहा है, जो दस दिन चलेगा। पार्टी इसमें पूरी ताकत से जुटी हुई है। इंदौर में एक हजार से अधिक नेता व कार्यकर्ता काम पर लगे हुए हैं। पार्टी के कुछ नेताओं का मानना है कि घोषणा से कुछ नेताओं में उत्साह रहेगा तो कुछ हतोत्साहित भी हो सकते हैं। ऐसे में अभियान को पूरा होने दिया जाए, तब घोषणा की जाए। हालांकि ये भी तर्क है कि ऐसा कुछ नहीं होगा। पार्टी नेता व कार्यकर्ता बिना पद के लालच के काम करता है, इसलिए उन्हें देव दुर्लभ कार्यकर्ता कहा जाता है।
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