कल प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के मन की बात का कार्यक्रम था, जिसे लेकर दीनदयाल भवन में प्रमुख नेताओं के लिए व्यवस्था रखी गई थी। बात खत्म होने के बाद में रेसीडेंसी कोठी में क्राइसेस कमेटी की बैठक थी। इसको लेकर संघ से समन्वयक की भूमिका निभा रहे निशांत खरे ने मोघे से चलने का कहा।
इस पर उन्होंने साफ इनकार कर दिया। कहना था कि मुझे ऐसी कोई बैठक में भाग नहीं लेना। चार बैठकें हो चुकी हैं। इनमें जो फैसले लिए हैं, वे लागू नहीं हो पाए हैं। अफसरों को जो समझ में आ रहा है, वह फैसला ले रहे हैं। अप्रत्यक्ष तौर पर उनका निशाना कलेक्टर मनीष सिंह की ओर था।
चंद लोगों की चल रही मनमानी कहना था कि जब तय हुआ था कि किसान का नुकसान नहीं होना चाहिए और आम आदमी को सहजता से सब्जियां दी जाएंगी, लेकिन आज तक यह व्यवस्था लागू नहीं हो सकी। शाम को दूध व डेरी चालू न करने की बात हुई थी। वह भी हवा में उड़ा दी गई। मजदूर और कारीगरों को रोजगार देने के लिए निर्माण शुरू करने की बात हुई तो 5 हजार वर्ग फीट वालों को अनुमति दी गई।
कुटीर उद्योग शुरू करने को कहा ताकि लोगों का रोजगार शुरू हो जाए। सब तय करने के बाद भी आज तक क्यों लागू नहीं हुआ। अर्थ है कि कमेटी को कोई कुछ समझ नहीं रहा है। चंद लोग अपनी मर्जी से शहर को चला रहे हैं। अब प्रशासनिक अफसर अपना काम करें और मैं अपना काम करूगा। ये सुनकर किसी भाजपाई की बोलने की हिम्मत नहीं हुई।
आपको बनाया है समन्वयक इस पर जब खरे ने कहा कि ये सारी बातें अफसरों के सामने रखना। ये सुनते ही मोघे ने खरे को करारा जवाब दे दिया। कहना था कि सरकार ने आपको समन्वयक बनाया है ना। ये काम आपका है या हमारा। आप बैठक में कुछ बोल नहीं सकते हैं तो मुझे बता दें। हमको जो करना है, हम कर लेंगे और जहां बोलना है, वहां बोल भी देंगे। ये सुनकर खरे भी सकते में आ गए। बाद में सभी नेताओं ने मान मनोव्वल की। सांसद शंकर लालवानी ने कहा कि मैं विश्वास दिलाता हूं कि पुराने बैठकों के सारे फैसलों पर आज अमल होगा फिर दूसरी बात होगी।
इस पर थे नाराज
गरीबों की आर्थिक स्थिति लगातार खराब होने पर मोघे ने प्रस्ताव दिया था कि जो मकान निर्माणाधीन हैं, उनमें काम करने की अनुमति दी जाना चाहिए। इसके बाद 5 हजार वर्गफीट से अधिक के निर्माण की अनुमति जारी की और एक अखबार में एक अफसर के हवाले से छपा था कि छोटे निर्माण को कोई अनुमति नहीं दी जाएगी। इसके बाद से मोघे नाराज थे।
गरीबों की आर्थिक स्थिति लगातार खराब होने पर मोघे ने प्रस्ताव दिया था कि जो मकान निर्माणाधीन हैं, उनमें काम करने की अनुमति दी जाना चाहिए। इसके बाद 5 हजार वर्गफीट से अधिक के निर्माण की अनुमति जारी की और एक अखबार में एक अफसर के हवाले से छपा था कि छोटे निर्माण को कोई अनुमति नहीं दी जाएगी। इसके बाद से मोघे नाराज थे।
चर्चा के दौरान नगर भाजपा अध्यक्ष गौरव रणदिवे ने भी मोघे की बात का समर्थन किया। कहना था कि किसी आम आदमी का इतना बड़ा मकान बनता है क्या? बिल्डर लॉबी बनाती है इतनी बड़ी बिल्डिंग। किसको फायदा पहुंचाने के लिए ये अनुमति जारी की गई। छोटे निर्माण में मजदूर Óयादा लगते हैं या बड़े में।