राज्य शासन के निर्देश पर एक तरफ जहां ई-नगर पालिका पोर्टल पर ऑनलाइन ट्रेड लाइसेंस बनाने की तैयारी चल रही है, वहीं निगमायुक्त आशीष सिंह ने एक आदेश जारी किया है। इसमें दुकान, प्रायवेट ऑफिस, शॉपिंग कॉम्पलेक्स की शॉप, शॉपिंग मॉल और अन्य व्यावसायिक संस्थाओं के नए लाइसेंस और नवीनीकरण को लेकर अब भवन अनुज्ञा और भू-उपयोग के लिए नियत प्रावधानों का पालन आवेदक को करना होगा। आवेदक द्वारा नियत प्रावधानों का उपयोग किया गया है, यानी इसकी जांच पहले बीआई करेंगे। निगम लाइसेंस शाखा में नया बनाने और नवीनीकरण के लिए आने वाले आवेदन को पहले बीआई को भेजने के निर्देश अफसरों और कर्मचारियों को दिए गए हैं। बीआई की स्थल रिपोर्ट और टिप नियत प्रावधान के हिसाब से आने पर ही नए लाइसेंस बनाने और नवीनीकरण का काम होगा। बीआई की रिपोर्ट और टिप नियमानुकूल नहीं होने पर न तो नया लाइसेंस बनेगा और न ही नवीनीकरण होगा।
निगम के इस नए आदेश से उन लोगों के लिए मुसीबत खड़ी हो गई है, जिन्होंने निगम से नक्शा रेसीडेंसल यानी आवासीय पास करवाया और बनाते समय दुकान या फिर ऑफिस निकाल लिए। इनमें व्यावसायिक गतिविधियां भी संचालित कर रहे हैं। अब ऐसे लोगों के ट्रेड लाइसेंस नहीं बनेंगे, जो भवन कमर्शियल होने के साथ आवासीय कम कमर्शियल है, उनमें ही ट्रेड लाइसेंस बनाए जाएंगे। इसके लिए भी बीआई की भवन अनुज्ञा यानी नक्शा और भू-उपयोग की रिपोर्ट लगेगी, क्योंकि कई लोग रेसीडेंसल का नक्शा पास कराकर कमर्शियल निर्माण कर लेते हैं।
गौरतलब है कि निगम द्वारा विभिन्न प्रयोजनों से संबंधित लाइसेंस जारी किए जाते हैं। साथ ही लाइसेंस का नवीनीकरण किया जाता है। आयुक्त को संज्ञान में आया कि ट्रेड लाइसेंस बनाने के लिए प्रस्तावक अधिकारी और कर्मचारी के साथ लाइसेंस जारी करने वाले अफसर निर्धारित भूमि उपयोग व भवन अनुज्ञा संबंधी नियमों का पालन नहीं करते हुए लाइसेंस जारी कर देते हैं। इसे रोकने के लिए नया आदेश निकाला गया है।
…तो होगी एकपक्षीय कार्रवाई
आयुक्त ने सख्त आदेश दिए हैं कि भविष्य में बिना बीआई की रिपोर्ट और टिप के लाइसेंस जारी हुए, तो संबंधित के खिलाफ एकपक्षीय कार्रवाई की जाएगी। निर्धारित भू-उपयोग और भवन अनुज्ञा संबंधी प्रावधानों का उल्लंघन पाए जाने की स्थिति में लाइसेंस जारी नहीं होगा।
अभी इतने हैं लाइसेंस
निगम में अभी ट्रेड लाइसेंस की संख्या 59 हजार 800 के आसपास है। अब नए आदेश के चलते संख्या कम हो जाएगी, क्योंकि शहर में अधिकतर व्यावसायिक संस्थान आवासीय भवन में चल रहे हैं। इनके लाइसेंस न बनाने के पीछे कारण निगम अफसर राज्य शासन के निर्देश होना बता रहे हैं।
ई-लाइसेंस पर ज्यादा जोर
राज्य शासन के आदेश पर ई नगर पालिका पोर्टल पर प्रदेश की अधिकतर नगरीय निकाय में काम शुरू हो गया है, लेकिन इंदौर नगर निगम में अभी तक यह पोर्टल शुरू नहीं हो पाया है। इसके पीछे जिम्मेदार अफसरों की लापरवाही और काम के प्रति रुचि नहीं होना है। इस पर पिछले दिनों आईटी सेक्शन देखने वाले अफसरों को भोपाल से फटकार लगी, वहीं राज्य शासन ने जल्द से जल्द इसे शुरू करने की सख्त हिदायत दी। इसके चलते पोर्टल पर काम की तैयारी है। तीन काम प्राथमिकता से लिए गए हैं। इसमें पहला ट्रेड लाइसेंस, दूसरा नए नल कनेक्शन देना और तीसरा संपत्तिकर है। इन तीनों काम में से पहले ई ट्रेड लाइसेंस पोर्टल पर बनाना शुरू किया जा रहा है। इसको करने के लिए जिम्मेदार अफसरों को ट्रेनिंग देना शुरू हो गया है। भोपाल के अफसर जोनवाइज ट्रेनिंग दे रहे हैं। लाइसेंस के लिए सीधे आवेदन ऑनलाइन जमा होगा और पैसे भी ऑनलाइन भराएंगे। इसके बाद तय सीमा में लाइसेंस आ जाएगा।
ई-लाइसेंस में भी बीआई की मौका स्थल रिपोर्ट लगेगी।
अमले को कड़ाई बरतने को कहा
नियत प्रावधानों के अनुकूल आवेदन व संलग्न अभिलेखों की जांच करने के बाद सही स्थिति पाए जाने पर ही अब नए ट्रेड लाइसेंस बनेंगे और नवीनीकरण होंगे। अधीनस्थ अमले को निर्देशित कर नियमों का कड़ाई से पालन करने के लिए पाबंद किया जा रहा है।
चंद्रशेखर निगम, उपायुक्त लाइसेंस शाखा