मतदाता का मौन, बढ़ी दलों की धड़कन, चौंका सकते हैं नतीजे
निचले व मुस्लिम बहुल क्षेत्रों में ज्यादा वोटिंग से आएंगे चौंकाने वाले परिणाम
इंदौर
Published: July 08, 2022 01:46:29 am
पाॅश इलाकों में कम वोट, क्योंकि कैडर वोट बूथ पर नहीं पहुंचा
इंदौर. निकाय चुनाव में मतदान का प्रतिशत कम रहने से इसके परिणामों पर चर्चा हो रही है। जानकारों का कहना है कि वोटिंग ट्रेंड में मतदाताओं की उदासीनता साफ नजर आ रही है, जो परिणामों का रूख मोड़ सकती है। पाॅश इलाकों और दो नंबर विधानसभा में कम तथा निचले व मुस्लिम बहुल इलाकों में अधिक मतदान से परिणाम चौंकाने वाले हो सकते हैं।
बुधवार को मात्र 14 वार्ड में 65 फीसदी से ज्यादा मतदान हुआ। 50 फीसदी यानी 43 वार्ड में सामान्य वोट पड़े। 21 वार्ड में दोनों दलों के लिए अलार्मिंग िस्थति बन रही है। 7 वार्ड का मतदान प्रतिशत 55 तक भी नहीं पहुंचा। वोटिंग ट्रेंड के आधार पर जानकारों का कहना है, महापौर व पार्षद दोनों के लिए िस्थति कशमकश वाली होगी।
सामाजिक-आर्थिक आधार
वार्ड 72 के लोकमान्य या वार्ड 6 के मल्हारगंज को छोड़ दें तो साकेत, तिलक नगर एरिया के वार्ड 42, 43, 54, विजय नगर, स्कीम 78, 114, सुखलिया आदि क्षेत्रों के वार्ड 21, 22, 29, 31, 32, 34, 36 में मतदान प्रतिशत कम रहा है, जबकि पाॅश इलाकों में बीजेपी को वोट मिलता है। कम आय, निम्न आय या गरीब बस्ती वाले वार्डों का प्रतिशत सामान्य से ज्यादा रहा है। इन वार्डों में 64-65 या इससे ज्यादा मतदान हुआ है। ऐसे वार्ड 25 से ज्यादा हैं। जानकारों की मानें तो यहां कांग्रेस को फायदा होगा। हालांकि भाजपा के विश्लेषकों का मानना है कि शिवराज सरकार की गरीब हितैषी नीतियों को समर्थन देते हुए यह वर्ग बड़े स्तर पर वोट करने निकला है। इसी तरह मुस्लिम बहुल इलाकों के वार्ड 1, 2, 8, 38, 40, 52 व 53 में हुई अच्छी वोटिंग भी भाजपा के समीकरण प्रभावित कर सकती है। मौजूदा घटनाक्रमों के कारण विभिन्न इलाकों में वोटों के सामाजिक ध्रुवीकरण की िस्थति है।
विधानसभाओं में बनी विपरीत परििस्थतियां
- विधानसभा एक व दो को लेकर बड़ी चर्चा रही। एक नंबर से संजय शुक्ला विधायक हैं। यहां सबसे ज्यादा 63 फीसदी मतदान हुआ है। उन्हें फायदा हो सकता है।
- विधानसभा दो से भाजपा विधायक हैं। यहां 58 प्रतिशत ही वोट पड़े, जबकि विधानसभा में 90 हजार वोट से यहां भाजपा को जीत मिली थी। लग रहा है कि भाजपा का वोटर वोट डालने नहीं निकला। ऐसे में कांग्रेस का पलड़ा भारी हो सकता है।
- विधानसभा तीन में विधानसभा एक से कम मतदान हुआ, जबकि इस क्षेत्र में भाजपा के परंपरागत रामबाग, हरसिद्धी, एमजी रोड आदि इलाके हैं।
- विधानसभा 4 व 5 भाजपा के पास है। यह मिश्रित मतदाता वाली सीटें हैं। चार में ज्यादा वोटिंग का जितना फायदा भाजपा को होगा, उतना ही 5 में हुई 58 प्रतिशत वोटिंग का नुकसान भी उठाना पड़ सकता है।
एक्सपर्ट बोले
उदसीनता नहीं, नाराजगी
मतदान का प्रतिशत नहीं बढ़ना मतदाता की उदासीनता नहीं, नाराजगी का हिस्सा है। सड़कों, जल जमाव जैसे मुद्दों तक यह होता तो ठीक रहता, लेकिन ट्रेंड बदला है। यह सत्ता के लिए चिंता का विषय है। जिस विधानसभा में ज्यादा वोट से जीत मिली, वहां से मतदाता का नहीं निकलना नाराजगी के रूप में सामने आया है।
भानू चौबे, राजनीतिक विश्लेषक
पाॅश इलाकों को परवाह नहीं
पढ़े- लिखे मतदाता व्यवस्था के प्रति उदासीन होते हैं। वोट के महत्व के बजाय वोटिंग की सुविधाओं को देखते हैं। यह चुनाव छोटी-छोटी जरूरतों व मुद्दों को लेकर होते हैं। जिनकी इस वर्ग के लिए उपयोगिता कम है। इसलिए वोट देने नहीं निकलते हैं। इनकी उदासीनता चुनावों को प्रभावित करती है।
सीबी सिंह, पूर्व आइएएस
वार्ड वार मतदान की िस्थति
- 65 से 68 प्रतिशत: 1, 4, 5, 6, 10, 11, 17, 56, 60, 68, 70, 72, 81, 85
- 50 से 55 प्रतिशत: 19, 29, 30, 31, 37, 50, 54
- शेष 64 वार्डोंं में मतदान का प्रतिशत 55 से 65 फीसदी के बीच रहा।
चुनावों का मतदान प्रतिशत
वर्ष --प्रतिशत
2009 --- 61
2015 --- 62.8
2022 --- 60.9

मतदाता का मौन, बढ़ी दलों की धड़कन, चौंका सकते हैं नतीजे
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