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इंदौर

साहब! महुआ नहीं अब हैरिटेज लीकर कहिए

आदिवासियों की कच्ची शराब को बेचने की नीति बनी, जल्द शुरू होगा काम
 

इंदौरOct 23, 2021 / 04:55 pm

प्रमोद मिश्रा

साहब! महुआ नहीं अब हैरिटेज लीकर कहिए

साहब! महुआ नहीं अब हैरिटेज लीकर कहिए

इंदौर. आदिवासियों द्वारा महुआ से कच्ची शराब बनाई जाती है। अभी तक यह अवैध थी, लेकिन सरकार इसे वैध कर खुले बाजार में बेचने की तैयारी मे है। महुआ की शराब को हैरिटेज लीकर (शराब) का नाम देने की नीति बन गई है। गजट नोटिफिकेशन भी हो गया है। पूणे से आई टीम ने सभी जगहों का दौरा कर महुआ की क्वालिटी और उससे बनने वाली शराब की संभावनाओं की जांच भी की है।
आदिवासी इलाकों में महुआ की कच्ची शराब बेची जाती है। इंदौर जिले के महू, बडग़ोंदा, पातालपानी इलाके में अवैध रूप से भट्टी लगाकर महुआ से कच्ची शराब बनाकर बेचा जाता है। संभाग के धार, अलीराजपुर के साथ ही बैतुल, होशंगाबाद इलाके में भी आदिवासियों के नाम से पहचाने जाने वाली महुआ की अवैध शराब बनती और बिकती है।
पिकनिक स्पॉट पर प्रसिद्ध है महुआ
इंंदौर जिले के आसपास के पिकनिक स्पॉट पर भी महुआ से बनी शराब आसानी से मिल जाती है। सहायक आबकारी आयुक्त राजनारायण सोनी के मुताबिक, वन क्षेत्र में जहां-जहां महुआ उपलब्ध है, वहांं शराब बनाई जाती है। कई बार कार्रवाई कर इन्हें नष्ट भी किया जाता है। पातालापानी, टिंचाफाल, सिमरोल, महू के अंदुरूनी इलाके में इसकी अधिकता है। मांडव में भी आसानी से महुआ मिल जाती है। महू, अलीराजपुर, धार के साथ ही होशंगाबाद, पंचमढ़ी, बैतुल में यह मिलती है। आमतौर पर आदिवासी इसे बनाते हैं और सरकार आदिवासियों को रोजगार देने के लिए ही इसे वैध कर रही है। आबकारी निति में संसोधन का गजट नोटिफिकेशन भी हो गया है। इसके तहत अब देशी, विदेशी के साथ ही हैरिटेज मदिरा भी नए साल से बाजार में उपलब्ध होगी।
अधिकारियों के साथ घूमी पूणे से आई टीम

अगले साल नए ठेके से देशी-विदेशी के साथ महुआ से बनी हैरिटेज शराब भी बाजार में आ जाएगी। किस तरह से ठेका दिया जाएगा, यह अभी तय नहीं है। इधर, राज्य सरकार के सलाहकार अनिरुद्ध मुखर्जी के साथ बसंत दादा शुगर इंस्टिट्यूट, पूणे के शुवाशीष बेहेरा के नेतृत्व में तीन सदस्यीय दल ने इंदौर के साथ ही अलीराजपुर, धार, बैतुल, होशंगाबाद का दौरा कर भोपाल पहुंची और वरिष्ठ अफसरों से बात की। टीम ने महुए की क्वालिटी व उससे बनने वाली एल्कोहल की क्वालिटी को देखा। आदिवासियों के प्रभाव वाले इलाकों के साथ ही जिले में एक-एक दुकान खोलने पर भी विचार कर रहा है। जल्द ही इसे अंतिम रूप दिया जाएगा। एक 1 अप्रैल के ठेके में हैरिटेज शराब भी शामिल हो जाएगी। महुआ की शराब आदिवासी वर्ग तैयार कर सरकार को देगा, जिसे दुकानों के जरिए बेचा जाएगा।
शराब से जिले में 980 करोड़ की कमाई
इंदौर मेें इस साल आबकारी शराब का ठेका दस महीने के लिए 980 करोड़ में गया।
– जिले में 67 अंग्रेजी शराब दुकानें है।

– 106 देशी शराब की दुकानें हैं।

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