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सीमा पर आतंकियों को धूल चटाकर घर आया फौजी, पूरे गांव ने मनाई ‘दिवाली’

locationइंदौरPublished: Oct 12, 2019 10:47:52 am

Submitted by:

Mohit Panchal

घर-घर में हुआ स्वागत, बुजुर्गों ने अपनी तरफ से रखा गांवभोज, पुंछ, राजौरी और पुलवामा में रही आठ साल ड्यूटी, कई बार हुई आतंकियों से मुठभेड़
 

सीमा पर आतंकियों को धूल चटाकर घर आया फौजी, पूरे गांव ने मनाई ‘दिवाली’

सीमा पर आतंकियों को धूल चटाकर घर आया फौजी, पूरे गांव ने मनाई ‘दिवाली’

सेवानिवृत्त होकर लौटा फौजी, दो गांवों में निकला जुलूस

इंदौर। आठ साल पुंछ, राजौरी और पुलवामा जैसे जम्मू-कश्मीर के आतंकियों के गढ़ में पदस्थ रहने वाले महू के एक गांव का फौज से सेवानिवृत्त होकर लौटा तो नजारा अद्भुत था। उन्हें इंदौर से जीप में बिठाकर जुलूस के रूप में ले जाया गया। दो गांवों की गलियों में घूमाकर घर-घर स्वागत किया गया। वहीं देश के बेटे के आने पर बुजुर्गों ने पूरे गांव का जीमना रखा।
जानापाव तीर्थ के पहले आने वाले ५०० की आबादी वाले जामनिया जागीर गांव में जोगिंदरसिंह ठाकुर एकमात्र ऐसे शख्स हैं, जो भारतीय सेना के राजपूताना रायफल में थे। 17 साल की नौकरी के बाद में तीन दिन पहले सेवानिवृत्त हो गए। उनके घर आने की खबर उनके पिता लालसिंह ठाकुर ने गांव व परिवार के लोगों को दी। जानकारी धीरे-धीरे समाज के प्रमुख लोगों तक पहुंची। तब सबने तय किया कि देश की सेवा करके लौटने वाले बेटे का स्वागत धूमधाम से किया जाए।
कल जैसे ही वे ट्रेन से आए तो जीजा व कांग्रेस नेता हरिओम ठाकुर और पूरा परिवार लेने पहुंचा। सूर्य देव नगर में एक रिश्तेदार के यहां रुके तो शासकीय अधिवक्ता रवींद्र पाठक, करनसिंह ठाकुर, नाना पटवारी और गौरव पाल ने स्वागत किया। यहां से खुली जीप में जोङ्क्षगदर को काफिले के रूप में ससुराल पिगडंबर तक ले जाया गया। वहां बड़ी संख्या में गांव के युवा इक_ा थे, जिन्होंने स्वागत कर ढोल-ढमाकों के साथ गांव में जुलूस निकाला।
घर-घर से उनका फूल बरसा कर स्वागत किया गया। यहां तक की पत्नी को भी अलग से जीप में खड़ा कर स्वागत किया गया। दो घंटे चले स्वागत के बाद जोगिंदर अपने गांव पहुंचे तो मानो दीपावली मनाई गई। आतिशबाजी कर जोरदार स्वागत किया गया। पूर्व विधायक अंतरसिंह दरबार ने भी राजपूताना साफा बांधा। बुजुर्गों ने अपने खर्चे पर दाल-बाफले और लड्डू का लजीज भोजन रखा था।
युवाओं ने जताई फौज में जाने की इच्छा
स्वागत के बाद में कई युवाओं ने जोगिंदर से फौज में जाने की इच्छा जाहिर की। कुछ ने 17 साल का अनुभव सुनाने तक का कहा। जोगिंदर ने बताया कि 8 साल वे पुंछ, राजोरी और पुलवामा जैसे आतंकवादी गढ़ माने जाने वाले इलाकों में भी रहे। कई बार सूचना मिलने के बाद आमना-सामना भी हुआ। बाद में आसाम में माओवादियों के क्षेत्र में काम किया। देश की रक्षा करने का मुझे मौका मिला मेरे लिए गर्व की बात है। आवश्यकता पडऩे पर मैं देश की सेवा करने के लिए फिर तैयार हूं।
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