इंदौर जिला निर्वाचन कार्यालय ने इलेक्ट्रानिक रूप से सेना अधिकारियों और कर्मचारियों को जारी किए जाने वाले मतों में 1104 वोट जारी किए थे। हालांकि इसमें से लौटकर 541 मत ही आए, जिनमें से 118 रिजेक्ट हो गए। पर जितने वोट मान्य किए गए, उनमें से लालवानी को 359 वोट मिले, जो कुल मान्य वोटों का 85 फीसदी है। पंकज को मात्र 40 वोट ही मिले, जो कुल मान्य वोटों का 12 फीसदी है। वहीं 10 वोट नोटा और शेष अन्य को गए।
सरकारी कर्मचारी भी भाजपा के साथ सरकारी कर्मचारियों के वोटों का आंकड़ा यूं तो अलग से नहीं मिलता, लेकिन पोस्टल बैलेट के आंकड़े से रुझान जरूर साफ हो जाता है। मतदान ड्यूटी में लगे कर्मचारियों के लिए पोस्टल बैलेट जारी किए जाते हैं। इस बार इंदौर जिला निर्वाचन कार्यालय से 2884 पोस्टल बैलेट जारी किए गए थे, जिसमें से 2318 वोट लौटकर आए, जिसमें से 369 रिजेक्ट हो गए। कुल मान्य वोट में से इसमें लालवानी को 1386 और संघवी को 507 वोट मिले, 14 वोट नोटा में और शेष अन्य को गए। प्रतिशत में बात करें तो 71 फीसदी सरकारी कर्मचारियों ने भाजपा के लिए और 26 फीसदी ने कांग्रेस के लिए वोट किया।
नाराजगी है कर्मचारियों में कांग्रेस सरकार को मात्र पांच महीने ही हुए हैं, लेकिन सरकारी कर्मचारियों में जबर्दस्त नाराजी है। यह इसी से साबित होता है कि इस बार पोस्टल बैलेट देने में किसी तरह की लापरवाही या आलस नहीं किया। पिछले आम चुनाव में करीब 50 फीसदी डाक मतपत्र ही वापस लौटे थे, जबकि इस चुनाव में 80 फीसदी लौटे हैं। इंदौर में वोटिंग का कुल प्रतिशत 69 फीसदी है, ऐसे में सरकारी कर्मचारियों की वोटिंग 21 फीसदी तक ज्यादा होना, सरकार के प्रति उनकी नारजगी जाहिर करती है।