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शहर में होगा सोमयज्ञ व विष्णु गोपाल यज्ञ, जानिए क्या महत्व है इन यज्ञों का

locationइंदौरPublished: Mar 14, 2018 08:01:41 pm

Submitted by:

amit mandloi

ढाई दशक बाद होने वाले सोमयज्ञ व विष्णु गोपाल यज्ञ में देश-विदेश से आएंगे भक्त

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इंदौर. शहर में लगभग ढाई दशक बाद एक ऐसा विराट सोम यज्ञ एवं विष्णु गोपाल महायज्ञ का दिव्य अनुष्ठान होने जा रहा है, जिसमें हमारे चारों वेदों की ऋचाओं से वेद मंत्रों द्वारा आहुतियां प्रदान की जाएंगीं। पद्मश्री एवं पद्मभूषण सोमया दीक्षित गोस्वामी गोकुलोत्सव महाराज एवं डॉ आचार्य गोस्वामी बृजोत्सव महाराज के पावन सान्निध्य में राजमोहल्ला स्थित खालसा स्टेडियम पर 27 मार्च से 1 अप्रैल तक होने वाले इस शास्त्रोक्त अनुष्ठान में देश-विदेश के हजारों श्रद्धालु शामिल होंगे।
खालसा स्टेडियम पर भव्य यज्ञशाला, आचार्य निवास, सांस्कृतिक मंच एवं एक भोजनशाला का निर्माण भी किया जा रहा है। 25 मार्च को अपरान्ह 4.30 बजे 208 मंगल कलशधारी महिलाओं सहित भव्य कलश यात्रा यशवंतगंज स्थित गोवर्धननाथ मंदिर से प्रारंभ होकर यज्ञस्थल पहुंचेगी। सोमयज्ञ आयोजन समिति के संयोजक डॉ प्रमोद नीमा, समन्वयक पंकज नीमा, प्रथम यजमान सुभाष नीमा ने बताया कि इस महायज्ञ में 17 के अंक का विशेष महत्व होता है। सोमयज्ञ से समस्त देव सृष्टि प्रसन्न एवं तृप्त होती है। यह कुण्डात्मक नहीं, अपितु चारों वेदों की ऋचाओं से आहुतियां दिए जाने के कारण इसे समस्त यज्ञों का राजा तथा वाजपेय यज्ञ को सम्राट कहा जाता है। खालसा स्टेडियम पर इस अनुष्ठान के दौरान आने वाले भक्तों के लिए भोजन प्रसादी की व्यवस्था चांदी-सोना जवाहरात व्यापारी एसोसिएशन की ओर से की जा रही है। विभिन्न संगठनों एवं समाजों द्वारा सहयोग का अभियान लगातार जारी है। लगभग 300 माता-बहनें यज्ञशाला का अलंकरण एवं गौमयलेपन 18 मार्च से प्रारंभ करेंगीं। यज्ञस्थल पर खाद्य पदार्थों एवं धार्मिक साहित्य के स्टॉल तथा चिकित्सा सुविधा भी उपलब्ध रहेगी। पार्किंग व्यवस्था वैष्णव स्कूल परिसर में सुनिश्चित की गई है।
18 को भूमिपूजन
उन्होंने बताया कि 18 मार्च को अपरान्ह 4.30 बजे खालसा स्टेडियम यज्ञस्थल पर भूमिपूजन का कार्यक्रम नव संवत्सर चैत्र शुक्ल प्रतिपदा पर पद्मश्री एवं पद्मभूषण सोमयाजी दीक्षित गोस्वामी गोकुलोत्सव महाराज एवं डॉ आचार्य गोस्वामी बृजोत्सव महाराज करेंगे। 25 मार्च को अपरान्ह 4.30 बजे यशवंतगंज, लाल अस्पताल के सामने स्थित गोवर्धननाथ मंदिर से 208 मंगल कलशधारी महिलाओं सहित भव्य कलशयात्रा प्रारंभ होगी जो गोराकुंड, सीतलामाता बाजार, नृसिंह बाजार, लोधीपुरा, मालगंज चौराहा होते हुए सीधे यज्ञस्थल खालसा स्टेडियमए राजमोहल्ला पहुंचेगी, जहां विद्वान आचार्यों के निर्देशन में कलश स्थापना की जाएगी। कलशयात्रा में आचार्य गोस्वामी गोकुलोत्सवजी महाराज रथ पर सवार रहेंगे और दक्षिण भारत से आए महापंडित भी आचार्य डॉ बृजोत्सव महाराज के साथ पैदल चलेंगे।
दक्षिण भारत से भी विद्वान आएंगे
सोमयज्ञ एवं विष्णु गोपाल महायज्ञ को संपादित कराने के लिए दक्षिण भारत के कर्नाटकए महाराष्ट्र एवं अन्य राज्यों से चारों वेदों के विद्वान ब्राम्हण ऋत्विज भी इंदौर आएंगे जिनकी सहमति प्राप्त हो चुकी है। देश-विदेश के कई लोग महायज्ञ में शामिल होगी।
सोमयज्ञ का महत्व
मनुष्य जीवन यज्ञ संस्कृति से जुड़ा हुआ है। सोमयज्ञ से समस्त देव एवं सृष्टि प्रसन्न और तृप्त होते हैं। मनुष्य का जीवन भी धन-धान्य एवं संपत्ति से संपन्न बनता है। इसमें 17 की संख्या में अनुष्ठान होता है। सत्रह का अंक परम ब्रम्ह भगवान की संख्या व शक्ति का ***** अंक है इसलिए इस यज्ञ में 17 ऋत्विज ब्राम्हण पंडितए, 17 आरा का चक्र, 17 ध्वजा, 17 की संख्या में समस्त यज्ञीय सामग्री एवं दक्षिणा होती है। सोमयज्ञ से समस्त दोष दूर होते हैं। यजुर्वेद यज्ञ से सर्पदोष, कालसर्प दोष, नाग दोष, पितृदोष, गृह दोष आदि दूर होते हैं। यज्ञ के पवित्र धूम्र से वातावरण एवं पर्यावरण शुद्ध होता है तथा समस्त मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं।
विष्णु गोपाल महायज्ञ का महत्व
सोमयज्ञ की साक्षी में विष्णु गोपाल महायज्ञ में आहुतियां देने से आहुति की शक्ति अनेक गुणा बढ़ जाती है। यह माना गया है कि एक हजार राजसूय यज्ञों का फल एक अश्वमेध यज्ञ से प्राप्त होता है। एक हजार अश्वमेध यज्ञ का फल एक सोमयज्ञ से प्राप्त होता है और एक हजार सोमयज्ञ का फल एक वाजपेय बृहस्पति सोमयज्ञ से मिलता है। विष्णु गोपाल यज्ञ हमारे समस्त मनोरथ पूर्ण करता है।
दिन में दो बार होगी पीले अक्षत की वर्षा
सोमयज्ञ में आने वाले भक्त पूरी तरह अखंड चावल को घी और हल्दी से रंगकर अपने साथ लाएंगे। इन चावलों को 25 मार्च की शोभायात्रा एवं यज्ञ की परिक्रमा लगाकर मनोकामना कलश, जो यज्ञ स्थल पर स्थापित होगा में पधराना होगा। यज्ञ में बैठने वालों को पूरे समय एकादशी फलाहार ग्रहण करना होगा। महिलाएं केशरिया एवं पीली साड़ी तथा पुरूषवर्ग धोती-कुर्ता, बंडी, अंगरखी धारण करेंगे।
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