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एक तालाब को जबरदस्ती मारना चाहते है कुछ लोग

locationइंदौरPublished: Oct 13, 2017 06:19:26 pm

Submitted by:

amit mandloi

हाई कोर्ट व सरकार के बीच जिला कोर्ट भवन फिर उलझा, पीपल्याहाना तालाब पर जनविरोध दरकिनार…

jila court indore piplyahana
इंदौर. हाई कोर्ट व सरकार के बीच जिला कोर्ट भवन बनाने का मसला फिर उलझता नजर आ रहा है। जनता के विरोध को दरकिनार कर हाई कोर्ट व विधि विभाग भवन पीपल्याहाना तालाब की जमीन पर ही बनाना चाहते हैं। इसके लिए आईडीए से योजना १४० की खाली जमीन की मांगी गई है। इसके अलावा हाई कोर्ट को परिसर से लगी देवी अहिल्या लाइब्रेरी और रवींद्र नाट्यगृह की जमीन एएजी कार्यालय व वकील चैंबर्स के लिए चाहिए। इन मसलों पर विचार के लिए शुक्रवार को अफसरों के साथ बैठक होगी। उधर हाई कोर्ट के इन प्रस्तावों को लेकर अनेक संगठन फिर विरोध में आ गए हैं।
देवी अहिल्या लाइब्रेरी की जमीन की हाई कोर्ट द्वारा की गई मांग का संस्था क्षितिज, जनवादी लेखक संघ, हिंदी परिवार, हिंदी साहित्य सम्मेलन व अन्य संस्थाओं ने विरोध किया है। उनका कहना है, इससे शहर के बीच साहित्यिक गतिविधियों के लिए उपलब्ध जमीन समाप्त हो जाएगी। प्रीतमलाल दुआ सभागृह इसके लिए अच्छा स्थान है। भविष्य में इसके विस्तार के लिए इस खाली जगह का उपयोग किया जा सकता है। लाइब्रेरी के भी विस्तार का प्रस्ताव है। जमीन हाई कोर्ट को देने से सभी संभावनाएं समाप्त हो जाएंगी।

प्रशासन के विकल्प
पहला विकल्प : रिंग रोड से लगी कृषि कॉलेज की जमीन में से २० एकड़ आरक्षित करने का। दूसरा, जजेस क्वार्टर्स योजना १३४ बी में शामिल जमीन पर बनाने और कोर्ट भवन वर्तमान स्थान या कृषि कॉलेज की जमीन पर बनाने का। तीसरा, जिला कोर्ट से लगी होप टेक्सटाइल्स मिल की जमीन का।

पानी भर जाएगा
प्रशासन ने एनजीटी के दिशा-निर्देशों का पालन करते हुए पीपल्याहाना तालाब की बची जमीन पर वस्तुस्थिति रिपोर्ट भी बता दी। इसमें कहा, तालाब भरने पर पानी कोर्ट परिसर तक पहुंच सकता है। भवन बनने से वॉटर बॉडी के कैचमेंट एरिया से नुकसान होगा।
दूसरा, जजेस क्वार्टर्स योजना १३४ बी में शामिल जमीन पर बनाने और कोर्ट भवन वर्तमान स्थान या कृषि कॉलेज की जमीन पर बनाने का। तीसरा, जिला कोर्ट से लगी होप टेक्सटाइल्स मिल की जमीन का।

पानी भर जाएगा
प्रशासन ने एनजीटी के दिशा-निर्देशों का पालन करते हुए पीपल्याहाना तालाब की बची जमीन पर वस्तुस्थिति रिपोर्ट भी बता दी। इसमें कहा, तालाब भरने पर पानी कोर्ट परिसर तक पहुंच सकता है। भवन बनने से वॉटर बॉडी के कैचमेंट एरिया से नुकसान होगा।
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