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एमवाय में पदस्थ बेटे ने पिता को किया कमरे में कैद, दवाई और पानी के लिए भी कर दिया मोहताज

locationइंदौरPublished: May 19, 2022 04:28:21 pm

Submitted by:

Subodh Tripathi

एक पिता के लिए इससे बढ़ी बदनसीबी और क्या होगी कि उसी के बेटे ने उसे कमरे में कैद कर दिया है, आश्चर्य की बात तो यह है कि उन्हें समय भोजन, दवाई और नहाने का पानी तक नहीं दिया जाता है.

एमवाय में पदस्थ बेटे ने पिता को किया कमरे में कैद, दवाई और पानी के लिए भी कर दिया मोहताज

एमवाय में पदस्थ बेटे ने पिता को किया कमरे में कैद, दवाई और पानी के लिए भी कर दिया मोहताज

इंदौर. एक पिता के लिए इससे बढ़ी बदनसीबी और क्या होगी कि उसी के बेटे ने उसे कमरे में कैद कर दिया है, आश्चर्य की बात तो यह है कि उन्हें समय भोजन, दवाई और नहाने का पानी तक नहीं दिया जाता है, ऐसे में बेटे से परेशान पिता 8-8 दिन तक नहा नहीं पाते हैं, वहीं उनके कपड़े भी नहीं धुलवाए जाते हैं, जबकि बेटे के बच्चे एमबीबीएस हैं। पिता ने कलेक्टर को शिकायत कर 4 लाख रुपए व भरण पोषण की राशि दिलने की मांग की है।


दरअसल एमवाय हास्पिटल से रिटायर्ड महू निवासी सोहनलाल वेद (80) दो दिन पहले जनसुनवाई में एमडीएम पवन जैन को शिकायत की, जिसमें उन्होंने बताया कि वे महू में अपने छोटे बेटे नरेंद्र के साथ रहते थे, लेकिन पिछले साल उनका बड़ा बेटा देवेंद्र उन्हें अपने साथ स्कीम नंबर 140 में रहने के लिए साथ लेकर आ गया, इसके बाद एक बार वे बीमार हुए तो उन्हें अस्पताल में एडमिट करवाया और कहा कि आपका मानसिक संतुलन ठीक नहीं है आप किसी से बात नहीं करें, उन्हें बताया कि उनकी लगातार दवाई चलेगी, ये कहकर उनसे एटीएम भी ले लिया और उनकी सोने की चेन भी ले ली।

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उन्होंने बताया कि उन्हें एक कमरे में बंद करके रखा जाता है, मोबाइल भी छीन लिया है और नहाने के लिए भी पानी नहीं देते हैं, ऐसे में 8-8 दिन में नहा नहीं पाता हूं, उन्होंने बताया कि एक दिन उनकी छोटी बहू सुनीता उन्हें लेने आई और कहा कि परिवार में शादी तो मैं उसके साथ जाने के दौरान रास्ते में बैंक गया, तो पता चला कि देवेंद्र उनकी सालभर की पेंशन जो कि 15 हजार रुपए महीना आती है उसे भी निकाल चुका है, एफडी के रुपए भी निकाल लिए हैं। उन्होंने बताया कि उनका बेटा देवेंद्र एमवाय अस्पताल में पैथोलॉजी विभाग में पदस्थ हैं। उसके तीनों बच्चे एमबीबीएस हैं। लेकिन इसके बावजूद मुझे काफी प्रताडि़त करते हैं।

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