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सोयाबीन बुवाई में हो सकती है देरी

locationइंदौरPublished: Jun 10, 2019 05:40:29 pm

किसानों को बारिश का इंतजार

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सोयाबीन बुवाई में हो सकती है देरी

इंदौर. (विशाल माते) सोयाबीन बुवाई के लिए खेत जूते खड़े है। एक-दो बारिश गिरने के बाद आमतौर पर बुवाई कार्य शुरू हो जाता है, लेकिन इस बार आठ दिनों की देरी के बाद केरल में मानसून पुहंचा है, जिससे माना जा रहा है कि यहां आते-आते मानसून में देरी होगी साथ ही सोयाबीन की बुवाई कार्य भी लेट हो सकता है। वैसे भी खरीफ फसलों की बुवाई के लिए प्री.मानसून की बारिश काफी अहम होती है, लेकिन चालू सीजन में पहली मार्च से 31 मई तक देशभर में प्री.मानसून की बारिश सामान्य से 25 फीसदी कम हुई है। देश के कई राज्यों में सूखे जैसे हालात बने हुए हैं, ऐसे में प्री.मानसून की बारिश कम होने से किसानों के सामने खरीफ फसलों की बुवाई का संकट पैदा हो गया है। बारिश कम होने के कारण देशभर के कई राज्यों के जलाशयों में पानी औसत स्तर से काफी नीचे आ गया है।
समर्थन मूल्य से नीचे कीमतें
केंद्र सरकार ने सोयाबीन का समर्थन मूल्य 3399 रुपए क्विंटल तय किया है। मंडियों में किसानों को सोयाबीन का दाम 3600 से 3700 रुपए क्विंटल मिल रहा है। प्लांट भी 3725 से 3780 रुपए में खरीदी कर रहे है। अब बुवाई का समय है ऐेसे में माना जा रहा है कि सोयाबीन का दाम समर्थन मूल्य से ऊपर जा सकता है। देश में 1.50 लाख बोरी सोयाबीन की आवक बताई जा रही है।
कीमतों में तेजी-मंदी मानसून पर करेगी निर्भर
सोपा के अनुसार चालू सीजन 2018-19 में सोयाबीन का उत्पादन 114.83 लाख टन का हुआ है जबकि अक्टूबर 2018 से अप्रैल 2019 तक मंडियों में 81 लाख टन सोयाबीन की आवक हो चुकी है। पिछले साल की समान अवधि में 66.50 लाख टन सोयाबीन की ही आवक ही हुई थी। उत्पादक मंडियों में 30 लाख टन से ज्यादा सोयाबीन का स्टॉक बचा हुआ है जबकि जून-जुलाई में बुवाई शुरू हो जायेगी। अत: आगे इसकी कीमतों में तेजी-मंदी मानसूनी बारिश पर निर्भर करेगी।
विश्व बाजार में दाम कम
विश्व बाजार में कीमतें कम होने के कारण मई में डीओसी के निर्यात में 78 फीसदी की भारी गिरावट आकर कुल निर्यात 58549 टन का ही हुआ है, जबकि पिछले साल मई में इनका निर्यात 263644 टन का निर्यात हुआ था। चालू वित्त वर्ष 2019-20 के पहले दो महीनों अप्रैल से मई के दौरान डीओसी के निर्यात में 36 फीसदी की कमी आकर कुल निर्यात 313134 टन का ही हुआ है जबकि पिछले वित्त वर्ष की समान अवधि में इनका निर्यात 487995 टन का निर्यात हुआ था।
सोया तथा सरसों डीओसी निर्यात कम
साल्वेंट एक्सट्रैक्टर्स एसोसिएशन ऑफ इंडिया (एसईए) के अनुसार विश्व बाजार में सोया डीओसी के साथ ही सरसों डीओसी की कीमतें नीचे बनी हुई हैं, जिस कारण हमारे यहां से निर्यात पड़ते नहीं लग रहे हैं। अप्रैल के मुकाबले मई में सोया डीओसी के साथ ही सरसों डीओसीए राइसब्रान और केस्टर डीओसी के निर्यात में भा गिरावट आई है। अप्रैल में सोया डीओसी का निर्यात 40829 टन का हुआ था जोकि मई में घटकर 18470 टन का ही रह गया। सरसों डीओसी का निर्यात अप्रैल में 120630 टन का हुआ था जोकि मई में घटकर 19519 टन का ही रह गया।
राइब्रान और केस्टर डीओसी का निर्यात भी घटा
एसईए के अनुसार मई में राइब्रसान डीओसी का निर्यात घटकर 4200 टन का ही हुआ है जबकि अप्रैल में 26750 टन का निर्यात हुआ था। केस्टर खली का निर्यात भी अप्रैल के 66285 टन से घटकर 16360 टन का ही हुआ है।
भाव में आई कमी
सोया डीओसी के भाव भारतीय बंदरगाह पर घटकर मई में 447 डॉलर प्रति टन रह गया जबकि अप्रैल में इसका भाव 460 डॉलर प्रति टन था। सरसों डीओसी का भाव इस दौरान 220 डॉलर प्रति टन से घटकर 218 डॉलर प्रति टन रह गया। हालांकि केस्टर डीओसी के भाव इस दौरान 77 डॉलर प्रति टन से बढ़कर 101 डॉलर प्रति टन रह गए।
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