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कई दल, कई धर्म के बावजूद सभी एकमत, मजबूत हो लोकतंत्र

locationइंदौरPublished: Feb 18, 2020 11:02:38 pm

श्रीवैष्णव विद्यापीठ में बोले लोकसभा स्पीकर ओम बिरला

कई दल, कई धर्म के बावजूद सभी एकमत, मजबूत हो लोकतंत्र

कई दल, कई धर्म के बावजूद सभी एकमत, मजबूत हो लोकतंत्र

इंदौर. भारत 1952 से चुनाव की प्रक्रिया में है। यह हमारा लोकतंत्र के प्रति भरोसा दिखाता है। भारत में अलग-अलग बोली, भाषा, विचारधारा, धर्म, दल हैं, लेकिन सब एकमत हैं कि हमारा लोकतंत्र मजबूत हो। हम संसदीय लोकतंत्र को और मजबूत करने का प्रयास कर रहे हैं। सांवेर रोड स्थित श्रीवैष्णव विद्यापीठ विवि में एपल आर्थोराइज्ड ट्रेनिंग सेंटर फॉर एजुकेशन के उद्घाटन समारोह में शिरकत करने पहुंचे लोकसभा स्पीकर ओम बिरला ने यह बात कही।
श्री वैष्णव परमार्थिक ट्रस्ट से जुड़े सदस्यों व विद्यार्थियोंं को संबोधित करते हुए बिरला ने कहा, भारत में सबसे ज्यादा मोबाइल उपयोगकर्ता हैं। इसका उपयोग कर हम तकनीकी ज्ञान अर्जन करते हुए कौशल बढ़ा सकते हैं। प्रधानमंत्री मोदी ने 2024 तक हर गांव में डिजिटल क्रांति पहुंचाने का लक्ष्य रखा है। विश्व का कोई भी देश जो तकनीक में अग्रणी हो, वहां भी भारत का नौजवान ही नेतृत्व करता नजर आएगा। उन्होंने सेवा कार्यों के साथ शिक्षण क्षेत्र में योगदान देने के लिए वैष्णव ट्रस्ट के प्रयासों की सराहना की। बिरला ने ट्रस्ट की स्मारिका और विद्यापीठ की व्याख्यान श्रृंखला के संग्रहण अंक का विमोचन भी किया। विद्यार्थियों को दिया संसद आने का बुलावाबिरला ने युवा विद्यार्थियों से कहा, आप दिल्ली आकर संसद देखें। इसकी जिम्मेदारी मंच पर बैठे सांसद शंकर लालवानी को सौंपी। यह सुनकर आयोजन स्थल तालियों से गूंज उठा। कुलाधिपति पुरुषोत्तमदास पसारी ने वैष्णव ट्रस्ट के शिक्षा व समाजहित कार्यों की जानकारी दी। कुलपति उपिंदर धर ने विश्वविद्यालय में चल रहे कोर्स के बारे में बताया।
संसद में हो चुका है सीएए पर संवाद

कार्यक्रम से पूर्व स्पीकर बिरला ने मीजिया से चर्चा में कहा, सीएए पर संसद में चर्चा, संवाद और मत विभाजन भी हो चुका है विधेयक पर सहमति या असहमति होना अलग बात है। हमारे लोकतंत्र की यह विशेषता है कि जो बिल बहुमत से पारित होता है, सरकार उस पर कानून बनाने का काम करती है। मप्र सरकार द्वारा एनपीआर लागू नहीं करने की घोषणा पर स्पीकर ने कहा, सदनों को अपने-अपने बिल पारित करने का अधिकार है। कई कानून केंद्र और राज्य दोनों की सूची में होते हैं।
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