लोकसभा अध्यक्ष ने कहा— संसद अंग्रेजों के समय में 1921 में बनी थी. संसद उस समय की व्यवस्था के अनुसार है लेकिन 99 वर्ष बाद इसमें बदलाव की जरूरत है. यह लोकतंत्र का मंदिर है. नवनिर्माण एक नियमित प्रक्रिया है और सभी दल के नेता और सदन ने आग्रह किया था कि नई संसद बनानी चाहिए. हम डिजिटल संसद की ओर आगे बढ़ रहे हैं. करीब 90 प्रतिशत काम डिजिटली करने लगे हैं. यही कारण है कि सेंट्रल विस्टा प्रोजेक्ट देश के लिए महत्वपूर्ण है. नए भवन से संसद व्यवस्था को गति मिलेगी.
उन्होंने कहा कि संसद में देश, जनता और राजनीति से जुड़े मुद्दों पर चर्चा होनी चाहिए लेकिन संसद किसी भी स्थिति में राजनीतिक एजेंडे को पूरा करने का मंच न बने. स्पीकर ने बताया कि संसद में शून्यकाल के माध्यम से संसद सदस्यों को अपने क्षेत्र की समस्याएं उठाने के लिए रिकार्ड समय और अवसर दिए जा रहे हैं.
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कार्यक्रम में स्पीकर से पूछा गया कि लोकसभा अध्यक्ष बनने के बाद जीवन में क्या बदलाव आया. इस पर उन्होंने कहा कि जीवन में परिवर्तन तो नहीं आता पर कार्य करने के तरीकों में परिवर्तन आता है. देश के लोकतांत्रिक संस्थान के लिए काम करते समय जनता की आकांक्षा, विश्वास और भरोसे को कायम रखने की सोच बनी रहती है.
लोकसभा के अंदर माहौल कैसा होता है, इस सवाल के जवाब में उन्होंने कहा कि लोकतंत्र में कई उतार-चढ़ाव आते हैं लेकिन हमारी कोशिश होती है कि मर्यादा बनी रहे। यह बात सही है कि कई कोशिश के बाद भी अपेक्षित परिणाम नहीं आ पाते हैं। इसके लिए फोरम में बात करते हैं। कोशिश होती है कि चाहे राज्य की विधानसभा हो या लोकसभा हो, सभी में गरिमा बनी रहे। चर्चा देश के महत्वपूर्ण मुद्दों पर यह हो और इससे समाधान निकले। उन्होंने कहा कि लोकतंत्र में चर्चा करना महत्वपूर्ण व्यवस्था है। किसी भी संवाद से रास्ते निकलते हैं। संवाद से जो चीजें निकलती है उससे ही जनता का कल्याण होता है। तनाव के लिए कभी काम नहीं होना चाहिए। राजनीति हो या बिजनेस हो या सर्विस सेक्टर कभी तनाव न लें।
भारतीय प्रबंध संस्थान आइआइएम इंदौर के निदेशक प्रो. हिमांशु राय ने लोकसभा अध्यक्ष से पूछा कि आप भारतीय जनता युवा मोर्चा में रहे हैं, अब वह समय याद आता है क्या! इस पर लोकसभा अध्यक्ष ने कहा कि उस समय जिम्मेदारी अलग थी. इस समय जिम्मेदारी अलग है. पुराने समय का अनुभव जरूर मिलता है. एक सवाल के जवाब में लोकसभा अध्यक्ष ने कहा कि जब कोरोना का पीक था तब सांसदों ने देर रात तक काम किया. उस समय काम की उत्पादकता 168 प्रतिशत हो गई थी. कार्यक्रम में सांसद शंकर लालवानी भी मौजूद थे.