ये कहना उन लोगों का है, जो रामनवमी के दिन प्राचीन बावड़ी के ऊपर बनी छत पर बैठकर हवन कर रहे थे, हालांकि ये लोग अभी अस्पताल में हैं और उनका इलाज चल रहा है, लेकिन उनकी आंखों में अभी भी दहशत है, उन्होंने सिसकते सिसकते बताया कि मौत का ऐसा मंजर पहले कभी नहीं देखा था, हमारी आंखों के सामने कई लोगों की मौत हो गई। हम चाह कर भी किसी को नहीं बचा सके, क्योंकि हम खुद भी मौत के मुंह में फंसे थे।
प्रत्यक्षदर्शियों ने बताया कि हादसे के वक्त बावड़ी की छत पर पूर्णाहुति के दौरान करीब 100 से अधिक लोग थे, पूर्णाहुति के बाद आरती की तैयारी थी, क्योंकि 12 बजते ही भगवान राम के जन्म की आरती की जानी थी, तभी अचानक बावड़ी की छत धस गई और लोग उसमें समा गए। आईये जानते हैं क्या कह रहे हैं घायल और इस हादसे के प्रत्यक्ष गवाह।
रातों रात हुए पोस्टमार्टम
दोपहर 3 बजे से शव आने शुरू हो गए थे, ये हादसा बड़ा हादसा था, एक के बाद एक शव आ रहे थे, इस कारण तुरंत पीएम भी किया जा रहा था, शाम तक ही 12 शवों के पीएम हो चुके थे, रात तक करीब 23 पीएम हो गए, और अभी तक करीब 35 शवों का पीएम हो चुका है, वैसे तो रात में पीएम नहीं होता है, लेकिन ये हादसा ऐसा था कि पोस्टमार्टम रात में ही करना जरूरी था।
-पीएस ठाकुर, एमवायएच अधीक्षक
सुबह 9.15 बजे हवन चालू कर दिया था, हवन पूरा हो गया था पूर्णाहुति के बाद भगवान राम की आरती करना थी, उसी समय भरभरा के छत गिर गई, 30-40 लोग थे, सब अंदर गए, हम भी एक घंटे तक अंदर रहे, जिन्हें तैरना आता था, वह जैसे तैसे बावड़ी में सीढिय़ों के किनारे आ गए और कुछ पकड़ कर जिंदा बच गए। पानी बहुत गंदा था, क्योंकि बावड़ी करीब 20 साल से बंद थी।
-पंडित लक्ष्मीनारायण शर्मा, घायल
हवन पूर्ण हो चुका था, सभी मिलकर एक साथ आहुति दे रहे थे, तभी छत गिर गई, कुछ लोग जैसे तैसे तैर कर बाहर आए, जिन्हें तैरना नहीं आता था, और जो नीचे थे उनकी मौत हमारी आंखों के सामने ही हो गई। करीब 10-12 लोगों की मौत हो चुकी थी, उनके शव तैरने लगे थे।
-भावेश पटेल, घायल
दोहपर 12 बजे की बात थी, आरती की तैयारी चल रही थी, तभी हादसा हो गया, हम अचानक बावड़ी के अंदर अंधेरे में थे, कुछ दिख नहीं रहा था, लेकिन हाथों से जो पकड़ पा रहे थे, उसे पकडक़र किनारे आ गए थे, जैसे तैसे 8-10 लोग तैरत हुए किनारे पर आ गए थे।
-रवि पाल, घायल
पुराने कुए पर स्लैब डालकर बंद कर दिया था, हवन कुंड उसी के ऊपर बना था, नीचे पूरा कुआ था, उसके ऊपर कम से कम 100 लोग थे, हमें तैराना भी नहीं आता था, जैसे तैसे भोले नाथ ने बचाया, आधे से पौन घंटे तक अंदर थे, मदद के लिए लोग चिल्ला रहे थे, बच्चे डूब गए थे, दो तीन बच्चे और महिलाएं आंखों के सामाने डूबे और उनकी मौत हो गई थी।
महेश जी, घायल
यज्ञ कर रहे थे, उसी समय हादसा हुआ, हम बावड़ी में गिरने के बाद कम से कम एक घंटे तक अंदर रहे, इसके बाद बचाव कार्य चालु हुआ, अंदर से लोगों की बचाओ बचाओ आवाज आ रही थी, लेकिन अंदर गंदा पानी होने के कारण डूबने से लोगों की मौतें होने लगी, हमें जैसे तैसे बस भगवान ने बचा लिया, क्योंकि हम रस्सी पकडक़र खड़े थे।
-ललित कुमार, घायल