बरसात ने सोयाबीन की फसल को बर्बाद कर दिया है। किसानों को उम्मीद है कि प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना से उन्हें कुछ मदद मिल जाएगी। इस बीच में सर्वे में अहम् भूमिका निभाने वाले पटवारी हड़ताल पर चले गए। वे उच्च शिक्षा मंत्री जीतू पटवारी के रिश्वतखोर बोले जाने से नाराज थे।
जैसे-तैसे मामले को ठंडा कर पटवारियों को फिर से काम पर लगाया गया। उनकी हड़ताल खत्म हुए एक दिन भी नहीं बीता कि तहसीलदारों ने आंदोलन का आह्वान कर दिया। तहसीलदार व नायब तहसीलदार ४ दिन के सामूहिक अवकाश पर हैं।
तहसीलदार ममता पटेल व सुदीप मीणा के मुताबिक सरकार ने लंबे समय से पदोन्नति नहीं दी है। कई तहसीलदारों को तीन साल पहले ही एसडीएम तो नायब तहसीलदार को तहसीलदार बनाया जाना था, लेकिन अब तक प्रमोशन नहीं किया गया। इसके अलावा तहसीलदार कई बुनियादी संसाधनों के अभाव में काम कर रहे हंै।
उनके पास न तो ऑपरेटर हैं न कम्प्यूटर, स्कैनर हैं। लिपिक, वाहन भत्ता और मकान भी दिए जाएं। विभाग के अफसरों के समान वेतन ग्रेड पे की जाए। ये मांगें तीन साल से चल रही हैं, लेकिन कोई सुनवाई नहीं हो रही। १४ अक्टूबर तक मांगें नहीं मानी तो अनिश्चितकालीन हड़ताल करेंगे।
ये काम भी होंगे प्रभावित
तहसीलदार से शासन दर्जनों काम करवाता है। नामांतरण, बंटवारा, सीमांकन करने के अलावा आय, जाति व मूल निवासी के प्रमाण पत्र पर उसके ही हस्ताक्षर होते हैं। इसके अलावा सबसे महत्वपूर्ण काम मृत्यू पूर्व बयान है। तहसीलदारों के हड़ताल पर जाने के बाद ये काम कौन करेगा, इसको लेकर संशय बना हुआ है। इसके अलावा प्रोटोकाल व मिलावटखोरों के खिलाफ कार्रवाई भी है, जो रुकेगी।
तहसीलदार से शासन दर्जनों काम करवाता है। नामांतरण, बंटवारा, सीमांकन करने के अलावा आय, जाति व मूल निवासी के प्रमाण पत्र पर उसके ही हस्ताक्षर होते हैं। इसके अलावा सबसे महत्वपूर्ण काम मृत्यू पूर्व बयान है। तहसीलदारों के हड़ताल पर जाने के बाद ये काम कौन करेगा, इसको लेकर संशय बना हुआ है। इसके अलावा प्रोटोकाल व मिलावटखोरों के खिलाफ कार्रवाई भी है, जो रुकेगी।