भारती शुक्रवार को कलेक्टोरेट पहुंची और फूट-फूटकर रोने लगी। उसने कहा कि मेरा २८ दिन का बच्चा जिंदगी और मौत से जूझ रहा है, लेकिन उसका इलाज ठीक से नहीं करा पा रहे हैं। पति मजदूरी कर परिवार चलाते हैं। प्राइवेट अस्पताल में इलाज कराना संभव नहीं था, इसलिए जन्म के समय गंभीर हालत में ही बच्चे को एंबुलेंस से लेकर एमवाय अस्पताल पहुंचे, लेकिन पहले गेट से ही भगाया जा रहा था, फिर किसी की मदद से जच्चा-बच्चा केंद्र पहुंची तो वहां कहा गया कि वेंटिलेटर नहीं है। तुम्हारे 900 ग्राम के बच्चे को हम कैसे बचा पाएंगे।
रेडक्रॉस में सवा करोड़ जमा, मदद 5 हजार की
प्रशासन की ‘दरियादिली’ देखिए कि रेडक्रॉस में सवा करोड़ रुपए जमा हैं, लेकिन बच्चे की जान बचाने के लिए सिर्फ ५ हजार की राशि जारी की गई। पिछले साल रेडक्रॉस में सवा करोड़ की राशि थी, जिसमें ५० फीसदी भी नहीं खर्च हुई थी। जब ‘पत्रिका’ ने रेडक्रॉस प्रभारी व एडीएम अजयदेव शर्मा से मदद की कम राशि दिए जाने बाबत चर्चा की तो उन्होंने कहा कि रेडक्रॉस का बजट दानदाताओं पर निर्भर है, लेकिन इस पर किसी का हक नहीं है। शुक्रवार को भारती डॉक्टर की पर्चियों के साथ कलेक्टोरेट के चक्कर लगाती रही। एक बाबू ने एडीएम रुचिका चौहान के पास भेजा तो वह उन्हें अपनी हालत बताकर फूट-फूटकर रो पड़ी। उन्होंने भारती को कलेक्टर कार्यालय भेजा। कलेक्टर निशांत वरवड़े ने पर्ची के पीछे लिखकर बच्चे को जिला अस्पताल में भर्ती कराने के निर्देश दिए।
प्रशासन की ‘दरियादिली’ देखिए कि रेडक्रॉस में सवा करोड़ रुपए जमा हैं, लेकिन बच्चे की जान बचाने के लिए सिर्फ ५ हजार की राशि जारी की गई। पिछले साल रेडक्रॉस में सवा करोड़ की राशि थी, जिसमें ५० फीसदी भी नहीं खर्च हुई थी। जब ‘पत्रिका’ ने रेडक्रॉस प्रभारी व एडीएम अजयदेव शर्मा से मदद की कम राशि दिए जाने बाबत चर्चा की तो उन्होंने कहा कि रेडक्रॉस का बजट दानदाताओं पर निर्भर है, लेकिन इस पर किसी का हक नहीं है। शुक्रवार को भारती डॉक्टर की पर्चियों के साथ कलेक्टोरेट के चक्कर लगाती रही। एक बाबू ने एडीएम रुचिका चौहान के पास भेजा तो वह उन्हें अपनी हालत बताकर फूट-फूटकर रो पड़ी। उन्होंने भारती को कलेक्टर कार्यालय भेजा। कलेक्टर निशांत वरवड़े ने पर्ची के पीछे लिखकर बच्चे को जिला अस्पताल में भर्ती कराने के निर्देश दिए।
वेंटिलेटर खाली होने पर भर्ती करेंगे
उस समय वेंटिलेटर खाली नहीं थे, किसी और का वेंटिलेटर निकाल कर तो नहीं दे सकते। कलेक्टोरेट को वेंटिलेटर खाली होने पर सूचना भेज देंगे। ताकि वह बच्चे को भर्ती करा सकें।
– डॉ. वीएस पॉल, अधीक्षक एमवाय अस्पताल
उस समय वेंटिलेटर खाली नहीं थे, किसी और का वेंटिलेटर निकाल कर तो नहीं दे सकते। कलेक्टोरेट को वेंटिलेटर खाली होने पर सूचना भेज देंगे। ताकि वह बच्चे को भर्ती करा सकें।
– डॉ. वीएस पॉल, अधीक्षक एमवाय अस्पताल