आइडीए ने ९० फीसदी जमीन मालिकों की समस्याओं को खत्म कर विभिन्न योजनाओं में रजिस्ट्री करने का काम भी लगभग पूरा कर लिया है। हाल ही में कुछ प्लॉट बेचने के लिए आवेदन भी बुलाए, जिसमें कई कंपनियों ने रुचि दिखाई। आइडीए कॉरिडोर पर दो आवासीय योजना पर काम करेगा। टीसीएस-इंफोसिस के बदले मिली करीब 400 एकड़ जमीन पर योजना-१७२ लाई जाएगी, जिसे एयरो सिटी की तरह विकसित किया जाएगा। एबी रोड का विकल्प तैयार कर राऊ से मांगल्या तक बायपास निर्माण से इंदौर का आवासीय विकास पूर्वी रिंग रोड व बायपास के बीच होने लगा। यहां कई कॉलोनियां, टाउनशिप व आइडीए की योजनाओं ने आकार ले लिया है। इसी बीच पश्चिमी क्षेत्र में विकास के लिए उज्जैन रोड से एयरपोर्ट रोड तक सुपर कॉरिडोर की नींव रखी गई। यह बनकर तैयार हो गया पर इसके आसपास की योजनाएं जमीन अधिग्रहण के कारण उलझ गई। सरकार ने इसके विकास को आगे बढ़ाने के लिए दो नामी कंपनी टीसीएस व इंफोसिस तथा शिक्षा के क्षेत्र में अग्रणी विवि नरसी मुंजी व सिम्बॉयोसिस को जमीनें दीं। सभी ने प्रोजेक्ट पूरे कर काम शुरू कर दिया है। आइडीए यहां आवासीय विकास के साथ ही कमर्शियल विकास की पहल शुरू कर दी है।
आइटी व फाइनेंस मैनेजेमेंट से जुड़ी कंपनियों के लिए अलग जोन तैयार किया जा रहा है। आइडीए सीईओ कुमार पुरुषोत्तम का कहना है, कॉरिडोर पर मूलभूत सुविधाएं विकसित करने का काम पूरा हो गया है। यहां कॉर्पोरेट सेंटर्स की तरह हलचल और आवासीय विकास हो इसके प्रयास किए जा रहे हैं।