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सिस्टम नहीं सुधारा तो लोग कानून हाथ में ले लेंगे-सुप्रीम कोर्ट न्यायमूर्ति अरुण मिश्रा

locationइंदौरPublished: Sep 08, 2018 10:29:05 pm

Submitted by:

amit mandloi

सिस्टम नहीं सुधारा तो लोग कानून हाथ में ले लेंगेसुप्रीम कोर्ट के न्यायमूर्ति अरुण मिश्रा ने चेताया

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सिस्टम नहीं सुधारा तो लोग कानून हाथ में ले लेंगे-सुप्रीम कोर्ट न्यायमूर्ति अरुण मिश्रा


इंदौर.

हमें आत्मचिंतन करना चाहिए। आप सभी कहते हैं न्यायाधीश के बच्चों को प्रैक्टिस नहीं करना चाहिए। न्यायाधीश के यहां केस लगता है तो उनके बच्चों के यहां एप्रोच क्यों करते हैं? क्या मुकदमा लगाने के लिए एप्रोच उचित है? आज हम कहां पहुंच गए? बड़े पूंजीपतियों के प्रकरणों में देरी की जा रही है। ऐसी धारणा उत्पन्न होने पर देश की न्यायपालिका पर लोगों का विश्वास व आस्था खत्म हो जाएगी। इससे लोग अपने हाथ में कानून ले लेंगे। हमें सिस्टम सुधारने की आवश्यकता है। न्यायपालिका और वकीलों को चिंतन की जरूरत है। प्रकरणों के निराकरण में देरी होने के कारण लोग कोर्ट दूर हो रहे हैं और पैसा देकर दुकानें खाली करवा रहे हैं, यह चिंता का विषय है। आर्थिक अपराध ज्यादा होने से देश की संपदा लूट रहे हैं। इस संपदा की लूटपाट समाप्त हो और गरीबों को हक मिलें।
ये बात सुप्रीम कोर्ट के न्यायमूर्ति अरुण मिश्रा ने पीपल्याहाना में बनने जा रहे जिला कोर्ट के भूमिपूजन के लिए बायपास स्थित अंबर कन्वेंशन सेंटर में शनिवार को आयोजित समारोह में कही। उन्होंने कहा, हमारे देश में आर्थिक अपराध ज्यादा हो रहे हैं। उदारीकरण के कारण कई कानूनों में संशोधन हुए हैं। सायबर क्राइम, इंटरनेट ट्रांजेक्शन एट द क्रॉस बॉर्डर, रियल एस्टेट में बड़े फ्रॉड हो रहे हैं। इन्हें रोकने के लिए सामूहिक चिंतन करना होगा। देश की संपदा की लूटपाट समाप्त हो। गरीब जनता को हक मिले।
पैसों के पीछे नहीं भागें
उन्होंने नए भवन निर्माण का विरोध करने वालों को दी सीख देते हुए कहा, क्या ये न्यायालय वकीलों और न्यायधीशों के लिए है? आप और हम भ्रमित हैं। ये न्यायालय देश की गरीब जनता के लिए है। कोर्ट की संख्या बढ़ाने की जरूरत है। एेसा न्यायालय हो, जहां पर्याप्त न्यायाधीशों को बैठा सकें। प्रकरणों के निराकरण करने का प्रयास होना चाहिए। निराकरण नहीं होने से लोग न्याय व्यवस्था से दूर होते जाते हैं। न्यायपालिका व्यवस्था की रीढ़ की हड्डी अधिवक्ता है। वे संविधान की मर्यादा, संवैधानिक मूल्यों की रक्षा के लिए पैरवी करते हैं। सच्चाई, उनकी नैतिक जिम्मेदारी है। वे ईमानदारी से कार्य करें, परिश्रम करें, मेहनत करें। पैसों के पीछे न भागें।
मुख्य न्यायमूर्ति ने कहा, वर्तमान में जनहित याचिका (पीआइएल) का राजनीतिकरण हो गया है। इससे अब पॉलिटिकल इंट्रेस्ट लिटिगेशन हो गया है। उसके बाद न्यायालय पर अटैक किए जाते हैं। कहीं हमने खुद को मार्ग से भटका दिया है?
इंदौर का इतिहास गौरवशाली
मिश्रा ने कहा, इंदौर का गौरवशाली इतिहास रहा है। मां अहिल्या बाई होलकर की आत्मा को कचोट रहा था कि इंदौर इतना बढऩे और गतिशील होने के बावजूद बड़ा न्यायालय नहीं मिलेगा। मालवा की माटी का प्रताप है कि मूर्धन्य, न्यायमूर्तिगण और इंसान मिले। इस माटी ने देश को इंसानियत दी है। उन्होंने इंदौर के विधि जगत की हस्तियों को उदाहरण दिए।
न्याय के विश्वास की इमारत बने : महाजन
लोकसभा स्पीकर और स्थानीय सांसद सुमित्रा महाजन ने कहा, हमारे लिए तालाब बचाना भी जरूरी है और न्यायालय भवन भी जरूरी था। दोनों कार्यों में सामंजस्य बनाकर इंदौर के विकास का मार्ग प्रशस्त किया गया है। पीआइएल का दुरुपयोग नहीं होना चाहिए। यहां न्याय के विश्वास की इमारत खड़ी हो। उन्होंने लेबर कोर्ट खोले जाने का आग्रह किया।
न्याय का मंदिर बनेगा
मप्र उच्च न्यायालय के चीफ जस्टिस न्यायमूर्ति हेमंत गुप्ता ने आशा जताई कि जिला न्यायालय का भवन भी न्याय का मंदिर बनेगा। उन्होंने कहा, ग्रीन ट्रिब्यूनल के समन्वय से सभी बाधाएं दूर हो गई हैं और तालाब को भी संरक्षित रखने के साथ इंदौर में अच्छा न्यायालय परिसर बनना भी संभव हो रहा है। इस मौके पर मप्र के विधि मंत्री रामपाल सिंह ने भी संबोधित किया। जस्टिस जेके माहेश्वरी ने जिला न्यायालय भवन की वास्तु संरचना से अवगत कराया। आयोजन में उच्च न्यायालय की इंदौर खंडपीठ के प्रशासनिक न्यायमूर्ति पीके जायसवाल, जिले के पोर्टफोलियो जज एससी शर्मा, मप्र के प्रिंसिपल रजिस्ट्रार अनिल वर्मा, महाधिवक्ता पुष्पेंद्र कौरव, जिला एवं सत्र न्यायाधीश राजीव श्रीवास्तव, बार काउंसिल अध्यक्ष गिरीश पटवर्धन, अतिरिक्त महाधिवक्ता मनोज द्विवेदी, संभागायुक्त राघवेंद्रसिंह, कलेक्टर निशांत वरवड़े, डीआइजी हरिनारायणाचारी मिश्र, निगमायुक्त आशीष सिंह एवं अधिवक्तागण भी उपस्थित थे।
पिपल्याहाना पर वैदिक मंत्रों के साथ हुआ भूमि पूजन-
अंबर कंवेशन सेंटर से पूर्व सुबह ११ बजे अतिथियों द्वारा पिल्याहाना में आकार लेने वाली जिला न्यायालय इंदौर के लिए 15 लाख वर्गफीट से अधिक भूमि पर सर्व सुविधायुक्त भवन के लिए भूमि पूजन किया गया। यह भवन सर्व सुविधायुक्त रहेगा। यह भवन 9 मंजिला रहेगा। 411 करोड़ रुपए की लागत से बनने वाले इस भवन में 21 लिफ्ट, 18 एस्कलेटर, एक हजार से ज्यादा चार पहिया वाहनों की पार्किंग, सैकड़ों अधिवक्तागणों के चेंबर, डाकघर, बैंक, विकलांगों के लिए विशेष सुविधाएं, छोटे बच्चों के साथ आने वाली माताओं-महिलाओं के लिए विशेष सुविधाएं, झूलाघर, खिलौना घर आदि की विश्व स्तरीय सुविधाएं रहेंगी। भूमिपूजन स्थल पर पिपल्याहाना तालाब बचाओ संघर्ष समिति और सामाजिक कार्यकताओं के विरोध के चलते भारी पुलिस बल तैनात था।
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