जांच में ऐसी कई फर्जी फर्म की जानकारी मिली जो अस्तित्व में ही नहीं हैं। शकर, लोहा और अन्य सामान की खरीदी-बिक्री दिखाने के लिए इन्हीं फर्म के बिल लगाए गए। करीब 250 करोड़ रुपए के ऐसे ही बिलों के जरिए 50 करोड़ रुपए की टैक्स चोरी की गई। अब विभाग जब्त एक-एक बिल का रिकॉर्ड जांच रहा है।
MUST READ : इंदौर की पहली महिला लोको पायलट अब दौड़ाएंगी ट्रेन , पांच साल के धैर्य का ऐसा मिला इनाम
प्रारंभिक जांच में ही पता चला है कि शहर में शकर का बड़ा कारोबार बिना बिल के चल रहा है। आमतौर पर शकर थोक में फूड इंडस्ट्री, रेस्टोरेंट और मिठाई बनाने वालों को दी जाती है। इस वजह से ज्यादातर कारोबारी बिल की मांग ही नहीं करते। इस कारण अधिकतर मामलों में शकर के स्टॉक वेरिफिकेशन की कोई व्यवस्था ही नहीं बन पाई है। लोहे पर 12 फीसदी टैक्स लगता है। फर्जी बिलों के जरिए व्यापारी ये क्रेडिट हासिल कर लेते।
ऑटो पाट्र्स के फर्जी बिल सबसे ज्यादा
सबसे ज्यादा 28 फीसदी टैक्स ऑटो पाट्र्स पर है, इसलिए ज्यादा क्रेडिट पाने के चक्कर में ऑटो पाट्र्स के फर्जी बिलों का धड़ल्ले से इस्तेमाल हुआ। विभाग की जांच में सामने आया कि व्यापारी शकर, लोहा या ऑटो पाट्र्स की जगह पर कमीशन पर सिर्फ ये बिल ही खरीदते रहे हैं। ऐसे बिल तैयार करने के लिए कई फर्जी फर्म कागजों पर तैयार कर करीब 50 करोड़ रुपए टैक्स क्रेडिट हथियाने की आशंका है। बिल बेचने वालों के साथ बिल खरीदने वाले व्यापारी फंस गए हैं, क्योंकि उन्होंने क्रेडिट हासिल कर लिए। अब विभाग फर्जी फर्म बनाकर ऐसे बिलों को कमीशन पर बेचने वालों की तलाश कर रही है। इसके तार अन्य राज्यों से भी जुड़े होने की आशंका है।
कर सलाहकर अग्रवाल के मोबाइल की जांच
जावरा कम्प्वाउंड स्थित कृष्णा अपार्टमेंट निवासी कर सलाहकार गोविंद अग्रवाल (48) की आत्महत्या मामले में उनका मोबाइल जब्त कर पुलिस जांच कर रही है। पता किया जा रहा है कि किन लोगों से उनकी लगातार बात हो रही थी। परिवार के बयान अभी नहीं हो पाए। गोविंद के घर से कोई सुसाइड नोट नहीं मिला है। परिवार ने जीएसटी छापे के बाद जांच में जुटे अफसरो पर बेवजह परेशान करने का आरोप लगाया था।
MUST READ : बच्चे के जन्म के बाद प्रसूता को मारे चांटे, कहा – इतना क्यों खाया की बच्चा 4.5 किलो का हो गया
कई दिनों बाद भी छापे की कार्रवाई पूरी नहीं हो रही थी। पुलिस मामले में गोविंद की कॉल डिटेल निकाल रही है। घटना के पहले व हाल के दिनो में उनकी किन लोगो से लगातार बात हुई इसका पता किया जाएगा। पुलिस मामले में जीएसपी विभाग से भी अग्रवाल के यहां हुई कार्रवाई की जानकारी ले रही है।
सोशल मीडिया पर वायरल हुआ था नाम
घोटाले में कर सलाहकार गोविंद अग्रवाल की संलिप्तता के आरोपों के बीच कई सवाल उठ रहे हैं। विभाग की कार्रवाई में किसी नाम का खुलासा नहीं किया गया था। टैक्स प्रैक्टिसनर्स एसो. के ही एक सदस्य ने सोशल मीडिया के जरिए अग्रवाल पर हुई कार्रवाई को मुद्दा बनाया था। अब एसो. का एक धड़ा नाम वायरल करने वाले पर सवाल उठा रहा है कि साबित होने से पहले अग्रवाल को कैसे आरोपी करार दिया। इसे लेकर शुक्रवार को एसो. की एक्जिक्यूटिव कमेटी की बैठक हुई। इसके बाद सदस्य अग्रवाल के घर पहुंचे और परिजन को मदद का भरोसा दिलाया।