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नर्मदा के पानी की वजह से सबसे टेस्टी है यहां की चाय, आपने चखी या नहीं?

locationइंदौरPublished: Dec 08, 2018 05:11:06 pm

नर्मदा के पानी की वजह से सबसे टेस्टी है यहां की चाय, आप भी चखें

tea

नर्मदा के पानी की वजह से सबसे टेस्टी है यहां की चाय, आपने चखी या नहीं?

इंदौर. हमारा देश दो चीजों पर चलता है, एक मानवीय रिश्ते और दूसरा चाय। चाय का मार्केट बहुत बड़ा है। ९८ फीसदी दुकानों पर इसे बेचना अनिवार्य है। टेस्ट में स्थानीय पानी और दूध की क्वालिटी से बहुत फर्क पड़ता है, इसलिए हम इन क्षेत्रों के हिसाब से चायपत्तियों में बदलाव करते हैं। उदाहरण के तौर पर मुंबई में दूध ही नहीं मिलता, मिल्क पावडर रहता है। यहां ब्लेंड अलग होता है। कहीं क्लोरीन की मात्रा ज्यादा होती है तो चाय काली पड़ जाती है। साउथ गुजरात कृषि प्रधान है, यहां ज्यादा फैट वाला दूध इस्तेमाल करते हैं। चाय के मामले में लोग बदलाव नहीं चाहते। हमें दूध और पानी के हिसाब से ब्लेंड बदलते रहना होता है। इंदौर में नर्मदा का पानी बहुत अच्छा, मिनरलयुक्त और साफ है, इसलिए यहां की चाय अच्छी होती है।
यह बात वाघ बकरी टी ग्रुप के एग्जीक्यूटिव डायरेक्टर पराग देसाई ने कही। वे कन्फेडरेशन ऑफ इंडियन इंडस्ट्री (सीआईआई) की ब्रांडिंग एंड मार्केटिंग कॉन्क्लेव में बोल रहे थे। शुक्रवार को ब्रिलियंट कन्वेंशन सेंटर में हुई इस कॉन्क्लेव में देश के नामी एेड और पीआर एक्सपट्र्स शामिल हुए।
उपभोक्ता ‘कैट’ जैसे हैं, कम वफादार और ज्यादा उत्सुक

मधुकर सबनवीस, वाइस चेयरमैन, ऑगिल्वी एंड मैथर इंडिया

पहले की तुलना में सिर्फ बाजार ही नहीं उपभोक्ता भी बदले हैं। अपने ब्रांड को बनाए रखने के लिए प्रोडक्ट्स में हमेशा नयापन आना चहिए, क्योंकि जब भी आप नया प्रोडक्ट लॉन्च करते हैं तो मार्केट में जल्द ही इसकी कॉपी आ जाती है। इसलिए जरूरी है कि यह अपडेट होता रहे। गूगल, फेसबुक जैसी साइट्स फैक्ट्स, फ्रिक्शन, राइट एंड रॉन्ग इंफॉर्मेशन से भरी हैं, कंटेंट ओवरलोड हैं, इसलिए उपभोक्ताओं का एक जगह टिकना मुश्किल है। वर्तमान उपभोक्ताओं पर एक अच्छी कहावत है कि वे डॉग नहीं कैट हैं, क्योंकि कैट कम वफादार, ज्यादा उत्सुक, ज्यादा प्रयोगात्मक होती है। नेटफ्लिक्स का मानना है, उसकी प्रतिस्पर्धा किसी से नहीं, बल्कि हमारी नींद से है। वे इसी सोच में रहते हैं कि किस तरह का कंटेंट दिखाएं जो लोगों को दो घंटे देरी से सोने पर मजबूर करे। मोबाइल अब मानव अंग का हिस्सा हो गया है। पहले निर्णय दिल, दिमाग और अंतरमन से लिया जाता था, पर अब टेक्नोलॉजिकल डिवाइस भी अहम किरदार निभाने लगे हैं।
पुश्तैनी बिजनेस को अब नए उद्देश्य से जोडऩा होगा

सुमीत काबरा, डायरेक्टर, आरआर काबेल

धंधा मंदा है, मार्जिन नहीं है, मार्केट अच्छा नहीं है, ऐसी बातें कर हम खुद को प्रभावित कर रहे हैं। ब्रांड्स लगातार ग्रोथ कर रहे हैं। हमने ही २० फीसदी ग्रोथ हासिल की है। सिर्फ ब्रांडिंग व मार्केटिंग पर फोकस बढ़ाना होगा। लोग पान, चाय, भोजन, बच्चे की स्कूलिंग अच्छी और महंगी चाहते हैं, लेकिन हमसे सस्ते और अच्छे की अपेक्षा रखते हैं। मायने यह रखता है कि हम लोगों के सामने कैसे खुद को प्रजेंट करते हैं। ब्रांड की शुरुआत पहचान से नहीं, उद्देश्य से होना चाहिए। पुश्तैनी बिजनेस अच्छा है, पर अब इसे उद्देश्य देना होगा वरना नाम पर कोई ध्यान नहीं देगा। भविष्य में हमारे बिजनेस को नुकसान पहुंचाने वाली टेक्नोलॉजी के लिए हमें अभी से तैयार रहना होगा। प्रतिद्वंद्वी से ज्यादा कस्टमर्स पर फोकस करना होगा। जल्द ही मोबाइल में एक ऐसी चिप आएगी, जिससे लाइट के माध्यम से डाटा ट्रांसफर होगा। हम इस तकनीक को जनवरी २०१९ के अंत तक ला रहे हैं।

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